आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी

जानें चमत्कारी जड़ी-बूटी के बारे में

जानें चमत्कारी जड़ी-बूटी के बारे में

हम अपने आस-पास कई पेड़-पौधे देखते हैं। इसमें से कुछ के बारे में हम जानते भी हैं, लेकिन कई के बारे में हमें बहुत कुछ पता नहीं होता है। कहते हैं, पृथ्वी पर पाये जाने वाले हर पेड़-पौधे में एक विशेष गुण होते हैं। कुछ विशेष पेड़-पौधों से के पत्ते, छाल, फल और जड़ को आसान भाषा में जड़ी-बूटी कहते हैं।

इसमें से कई में चमत्कारिक औषधिय गुण पाये जाते हैं, जो बड़े से बड़े असाध्य रोगों का इलाज करने में सक्षम है। इसके बारे में कई लोगों के पास बहुत कम जानकारियां होती है। प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान में जड़ी-बूटियों को भगवान का दिया वरदान भी माना गया है। इस लेख में हम आपको आसानी से आपके आसपास उपलब्ध ऐसे जड़ी-बूटियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके मदद से आप कई बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं।

गिलोय:

गिलोय के बारे में आपने जरूर सुना होगा। गिलोय के कुछ फायदों के बारे में भी आप जानते होंगे। गिलोय के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी बहुत सारी जानकारी दी गई है। गिलोय के पत्ते स्वाद में कसैले, कड़वे और बहुत तीखे होते हैं।

  • गिलोय वात-पित्त और कफ में काफी फायदेमंद माना गया है।
  • पाचन क्रिया के मजबूत करने के साथ यह भूख बढ़ाती है।
  • इसके अलावा ये आंखों के लिए काफी लाभकारी होती है।
  • गिलोय से प्यास, जलन, डायबिटीज, कुष्ठ और पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
  • गिलोय वीर्य और बुद्धि को भी बढ़ाती है।
  • बुखार, उल्टी, सूखी खांसी, हिचकी, बवासीर, टीबी, मूत्र रोग में भी गिलोय काफी फायदेमंद होती है।
  • महिलाओं की शारीरिक कमजोरी में यह बहुत लाभकारी माना गया है।
  • गिलोय क्या है?
  • गिलोय अमृता, अमृतवल्ली यानी कभी न सूखने वाली एक लता है। इसका तना देखने में रस्सी जैसा होता है। इसके तने से जड़ें निकली रहती है। इसके पत्ते कोमल और पान के आकार के होते हैं। इसका फल मटर के दाने जैसे दिखते हैं।

गिलोय के फायदे:

यह लता होती है, जो दूसरे पेड़ों पर चढ़ती है। कहते हैं, यह जिस वृक्ष पर चढ़ती है, उस वृक्ष के कुछ गुण भी इसके अंदर आ जाते हैं। इसलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय को सबसे अच्छी मानी जाती है। गिलोय नुकसानदायक बैक्टीरिया से लेकर पेट के कीड़ों को भी खत्म करती है।

आंखों के लिए फायदेमंद

गिलोय के औषधीय गुणों आंखों के लिए काफी फायदेमंद माना गया है। इसके लिए 10 मिली गिलोय के रस में 1-1 ग्राम शहद और सेंधा नमक मिलाकर अच्छी तरह से पीस लें, फिर इसे आंखों में काजल की तरह लगाएं। इससे आंखों के सामने अंधेरा छाना, चुभन और काला और सफेद मोतियाबिंद रोग ठीक हो सकता है।

कान की बीमारी में फायदेमंद

गिलोय कान की बीमारी में काफी फायदेमंद होता है। इसके लिए इसके तने को पानी में घिसकर गुनगुना कर लें फिर इसे ठंडा होने पर कान में 2-2 बूंद दिन में दो बार डालें। इससे कान का मैल निकल जाता है।

कब्ज दूर करता है गिलोय

गिलोय को कब्ज का रामबाण दवा बताया गया है। इसके 10-20 मिली रस गुड़ के साथ सेवन करने से कब्ज दूर हो जाता है। इसके अलावा सोंठ, मोथा, अतीस और गिलोय को बराबर भाग में पानी में खौला कर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को 20-30 मिली की मात्रा में सुबह और शाम पीने से अपच और कब्ज की समस्या से राहत मिलती है।

अश्वगंधा:

अश्वगंधा एक जड़ी-बूटी है, जिसका प्रयोग कई रोगों के इलाज में किया जाता है। अश्वगंधा मोटापा घटाने के साथ बल और वीर्य विकार को ठीक करने में फायदेमंद है। अलग-अलग जगहों पर अश्वगंधा के अलग-अलग प्रकार होते हैं। हालांकि, असली अश्वगंधा की पहचान है कि इसके पौधों को मसलने पर इससे घोड़े के पेशाब जैसी गंध आती है। अश्वगंधा के पौधे दो प्रकार के होते हैं। छोटी असगंध और बड़ी या देशी असगंध।

छोटी असगंध:

इसकी झाड़ी छोटी होती है, जिसके कारण इसे छोटी असगंध कहते हैं। हालांकि, इसकी जड़ें बड़ी होती है। यह भारत में राजस्थान के नागौर क्षेत्र में अधिक मात्रा में पाई जाती है। इसके कारण इसे नागौरी असगंध भी कहते हैं।

बड़ी या देशी असगंध:

बड़ी असगंध की झाड़ी बड़ी होती है, लेकिन जड़ें छोटी और पतली होती है। यह आमतौर पर बाग-बगीचे, खेतों या पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है।

अश्वगंधा के फायदे:

आयुर्वेद में अश्वगंधा को बहुत ही फायदेमंद बताया गया है। अश्वगंधा के पत्ते का चूर्ण के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। ये बहुत ही फायदेमंद है, लेकिन इसके इस्तेमाल से पहले चिकित्सक सलाह लेना जरूरी है, क्योंकि कई मामलों में इसके साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिले हैं।

सफेद बाल की समस्या में फायदेमंद है अश्वगंधा:

अश्वगंधा सफेद बाल की समस्या में फायदेमंद है। इसके लिए 2-4 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करने से समय से पहले सफेद हो रहे बाल की समस्या ठीक होती है।

आंखों की रोशनी बढ़ाने में फायदेमंद:

अश्वगंधा आंखों की रोशनी बढ़ाने में काफी फायदेमंद बताया जाता है। 2 ग्राम अश्वगंधा, 2 ग्राम आंवला और 1 ग्राम मुलेठी को पीसकर चूर्ण बना सुबह-शाम पानी के साथ लेने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

गले के विकार को दूर करता है अश्वगंधा:

अश्वगंधा गले के रोगों में काफी लाभकारी माना गया है। इसके लिए अश्वगंधा पाउडर और गुड़ को बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह-सुबह बासी जल के साथ सेवन करने से गले का रोग ठीक होता है।

खांसी में फायदेमंद है अश्वगंधा:

कुकुर खांसी या कफ की समस्या में अश्वगंधा विशेष लाभकारी माना गया है। इसके लिए असगंध की 10 ग्राम जड़ों को कूटकर इसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर 400 मिलीग्राम पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। बाद में ठंडा होने पर इसे थोड़ा-थोड़ा सुबह शाम लेने से खांसी की समस्या दूर होती है।

नीम:

शायद ही कोई ऐसा हो जिसने नीम के बारे में नहीं जानता होगा। इसके कुछ लाभ के बारे में भी आप सब जानते होंगे। नीम को उसके कड़वेपन के लिए जाना जाता है। कड़वा होने के बाद भी नीम स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक लाभदायक होता है। इसके गुणों के कारण इसे धरती का कल्प वृक्ष भी कहा जाता है।

  • आमतौर पर लोग नीम का प्रयोग घाव या चर्म रोग से इलाज के लिए करते हैं, लेकिन इसके और भी कई फायदे हैं।
  • नीम कुष्ठ और चर्म रोगों के लिए बहुत लाभदायक है। कहते हैं, इसके रेशे-रेशे में खून को साफ करने के गुण भरे हैं।
  • नीम का तेल टीबी या क्षय रोग में भी लाभदायक होता है।
  • नीम की पत्तियों का लेप कैंसर बढ़ाने वाली कोशिकाओं के बढ़ने की क्षमता को कम करता है।

नीम के फायदे

  • नीम के कोमल पत्तों के सेवन से खून साफ होता है।
  • इससे बुखार, चेचक जैसे रोग नहीं होते हैं।
  • बालों की समस्याओं में भी नीम काफी लाभकारी माना गया है। बाल झड़ने से लेकर असमय पकने जैसी समस्याओं में नीम फायदेमंद माना गया है।
  • झड़ते और सफेद बाल की समस्या से निजात पाने के लिए नीम के बीजों को भांगरा के रस और असन पेड़ की छाल के काढ़े में भिगो कर छांव में सुखाएं।
  • इसके बाद इसका तेल निकालकर सुबह शाम या एक तय समय में 2-2 बूंद नाक में डालें। इससे असमय सफेद हुए बाल काले हो जाते हैं।

सिर में लाभकारी नीम

सूखे नीम के पत्ते, काली मिर्च और चावल को बराबर मात्रा में मिलाकर बारीक पीस लें। फिर इसे सूर्योदय से पहले सिर के जिस ओर दर्द हो रहा हो, उस ओर की नाक में इस चूर्ण को एक चुटकी डालें। इससे अधकपारी यानी माइग्रेन की समस्या में राहत मिलती है। नीम के बीज के तेल को ललाट पर लगाने से आम सिर दर्द ठीक होता है।

नकसीर में लाभकारी है नीम

नीम नकसीर यानी नाक से खून आने की समस्या को दूर करता है। इसके लिए नीम की पत्तियां और अजवाइन को बराबर मात्रा में पीस लें। इसके बाद इसे कनपटियों पर लेप करने से नाक से खून बहना बंद हो जाता है।

कान बहने की समस्या से राहत

नीम के उपयोग से कान की बीमारियों को भी ठीक किया जा सकता है। इसके लिए नीम के पत्ते के रस में बराबर मात्रा में मधु (शहद) मिला लें। अब इसे 2-2 बूंद सुबह-शाम कान में डालें, इससे कान बहना बंद हो जाता है। ध्यान रहे नीम और शहद डालने से पहले कान को अच्छी तरह से साफ कर लें। अगर कान से पीव निकलती हो तो नीम के तेल में शहद मिलाकर इसमें रूई को भिगोकर कान में रखने से लाभ होता है।

सहजन:

सहजन की सब्जी के बारे में तो आपने बहुत सुना होगा, यह एक मौसमी सब्जी है, लेकिन क्या आपको पता है कि सहजन का इस्तेमाल एक औषधि के रूप में भी किया जाता है।

सहजन के फायदे

  • सहजन के फल ही नहीं बल्कि सहजन के पत्ते, छाल का भी इस्तेमाल किया जाता है।
  • सहजन की छाल और पत्तों के लेप से जलन, सूजन और फोड़ों में राहत मिलती है।
  • सहजन के बीज का तेल दर्द निवारक का काम करता है।
  • इससे सूजन में भी काफी राहत मिलती है।

सहजन सिर दर्द में काफी फायदेमंद होता है। सहजन की जड़ के रस में बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर इसे छानकर 1-1 बूंद नाक में डालने से सिर दर्द में लाभ मिलता है। इसके अलावा सहजन के पत्तों के रस में काली मिर्च को पीस लें, फिर इसे मस्तक पर लेप करने से मस्तक पीड़ा ठीक होती है।

टाइफाइड में फायदेमंद

सहजन की छाल को जल में घिसकर इसकी एक दो बूंद नाक में डालने से मस्तिष्क ज्वर यानी दिमागी बुखार या टाइफाइड में लाभ होता है।

पेट के रोग लाभदायक

सहजन की ताजी जड़, सरसों और अदरक को समान मात्रा में पीसकर 1-1 ग्राम की गोली बनाकर 2-2 गोली का सुबह और शाम सेवन करने से जठराग्नि सक्रिय हो जाती है। इससे पाचन शक्ति बढ़ती है। किडनी विकार में सहजन का सेवन लाभदायक होता है। सहजन के 5 ग्राम गोंद को रोज करीब 7 दिन तक दही के साथ खाने से पेशाब की समस्या में लाभ होता है।

Disclaimer: यह लेख सामान्य रूप से उपलब्ध जानकारी के आधार पर है। अगर इन घरेलू उपायों के बाद किसी तरह की परेशानी महसूस करते हैं, तो इसे बिल्कुल न करें और तुरंत अपने नजदीकी डॉक्टर से सम्पर्क करें। कोशिश करें कि ये सभी उपाय किसी जानकार शख्स के देख-रेख में करें।