Home » श्री शीतला माता की आरती
शीतला माता अपने भक्तों के तन-मन को शीतल कर देती है तथा समस्त प्रकार के तापों का नाश करती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शीतला माता चेचक, खसरा आदि की देवी के रूप में पूजी जाती है।
उन्हें शक्ति के दो स्वरुप, देवी दुर्गा और देवी पार्वती के अवतार के रूप में जाना जाता है। जो भी भक्त माता की आरती करता है वह जीवन में बीमारियों से सुरक्षित रहता है। वहीं पूजा के बाद ही उनकी आरती की भी बहुत महत्व है।
जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता।
आदि ज्योति महारानी
सब फल की दाता॥
ॐ जय शीतला माता…।
जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता।
आदि ज्योति महारानी
सब फल की दाता॥
ॐ जय शीतला माता…।
रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भाता।
मैया श्वेत छत्र भाता।
ऋद्धि-सिद्धि चँवर डोलावे,
जगमग छवि छाता॥
ॐ जय शीतला माता…।
विष्णु सेवत ठाढ़े,सेवें शिव धाता।
मैया सेवें शिव धाता।
वेद पुराण वरणत
पार नहीं पाता॥
ॐ जय शीतला माता…।
इन्द्र मृदङ्ग बजावत चंद्र वीणा हाथा।
मैया चंद्र वीणा हाथा।
सूरज ताल बजावे
नारद मुनि गाता॥
ॐ जय शीतला माता…।
घण्टा शंख शहनाई बाजै मन भाता।
मैया बाजै मन भाता।
करे भक्त जन आरती
लखि लखि हर्षाता॥
ॐ जय शीतला माता…।
ब्रह्म रूप वरदानी तीन काल ज्ञाता।
मैया तीन काल ज्ञाता।
भक्तन को सुख देती
मातु पिता भ्राता॥
ॐ जय शीतला माता…।
जो जन ध्यान लगावे प्रेम शक्ति पाता।
मैया प्रेम शक्ति पाता।
सकल मनोरथ पावे
भवनिधि तर जाता॥
ॐ जय शीतला माता…।
रोगों से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता।
मैया शरण तेरी आता।
कोढ़ी पावे निर्मल काया
अन्ध नेत्र पाता॥
ॐ जय शीतला माता…।
बांझ पुत्र को पावे दरिद्र कट जाता।
मैया दरिद्र कट जाता।
ताको भजै जो नाहीं
सिर धुनि पछताता॥
ॐ जय शीतला माता…।
शीतल करती जन की तू ही है जग त्राता।
मैया तू ही है जग त्राता।
उत्पत्ति बाला बिनासन
तू सब की माता॥
ॐ जय शीतला माता…।
दास नारायण
मैया कर जोरी माता।
भक्ति आपनी दीजै
और न कुछ माता॥
ॐ जय शीतला माता…।
जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता।
आदि ज्योति महारानी
सब फल की दाता॥
ॐ जय शीतला माता…।