Home » अन्नपूर्णा देवी की आरती
माँ अन्नपूर्णा को हिंदू धर्म की एक मान्य देवी माना जाता है, जो कि विशेष रूप से पूजनीय है। देवी अन्नपूर्णा माँ जगदम्बा का स्वरूप हैं। जिनसे संसार का संचालन होता है। माँ जगदम्बा के इस रूप से ही संसार का भरण पोषण होता है। अन्नपूर्णा शब्द का अर्थ है अन्न की अधिष्ठात्री देवी, अर्थात अन्न देनी वाली देवी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि माँ अन्नपूर्णा की आरती व पूजा पाठ करने से क्या लाभ होते है? अगर नहीं तो आइए जानते हैं माँ अन्नपूर्णा की आरती के महत्व के बारे में।
जो व्यक्ति रोज़ माँ अन्नपूर्णा की आरती करता है उसे माँ अन्नपूर्णा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। माँ अन्नपूर्णा की आरती सुननें व पढ़ने से उसके घर में कभी भी धन और धान्य की कमी नहीं होती है। माँ अन्नपूर्णा की आरती करने से माँ अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है उसे कभी भी दुःख और दरिद्रता छू भी नहीं सकती है और उनके घर हमेशा धन धान्य से भरे रहते है। तो आइए पढ़ते है माँ अन्नपूर्णा की आरती।
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम । अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेत होत सब काम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर, कालान्तर तक नाम । सुर सुरों की रचना करती, कहाँ कृष्ण कहाँ राम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
चूमहि चरण चतुर चतुरानन, चारु चक्रधर श्याम । चंद्रचूड़ चन्द्रानन चाकर, शोभा लखहि ललाम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
देवि देव! दयनीय दशा में, दया-दया तब नाम । त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल, शरण रूप तब धाम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
श्रीं, ह्रीं श्रद्धा श्री ऐ विद्या, श्री क्लीं कमला काम । कांति, भ्रांतिमयी, कांति शांतिमयी, वर दे तू निष्काम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।