बजरंग बाण पाठ के लाभ

कार्य सिद्धि के लिए करें ये पाठ

बजरंग बाण क्या है ? (What is Bajrang Baan)

भगवान हनुमान जी को संकटमोचन भी कहा जाता है। कहते हैं जब भी कोई विपदा आती है तो हनुमान जी उसे दूर कर देते हैं। वैसे तो हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा या सुंदरकांड ही काफी होता है, लेकिन जब किसी विशेष कार्य को सिद्ध करना होता है तो बजरंग बाण का पाठ किया जाता है। बजरंग बाण का पाठ बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है। बाण का अर्थ होता है निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करना। कहा जाता है कि बजरंग बाण का पाठ तभी करना चाहिए जब सभी परिस्थितियां आपके खिलाफ हो जाए और कोई हल नजर न आ रहा हो। ऐसे में निसम से इस पाठ को करने से हनुमान जी की विशेष कृपा मिलती है और जल्द परिणाम मिलता है।

बजरंग बाण किसने और क्यों लिखा ? (Who wrote Bajrang Baan and why? )

कहा जाता है कि हनुमान चालीसा की तरह बजरंग बाण भी गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा था। कहते हैं कि एक बार काशी (वाराणसी) में किसी तांत्रिक ने तुलसीदास जी पर मारण मंत्र का प्रयोग किया, जिसके बाद उनके शरीर पर बड़े-बड़े फोड़े निकल आए थे। पीड़ा में तुलसीदास जी ने बजरंग बाण का पाठ किया और हनुमान जी से जीवन रक्षा की गुहार लगाई। पाठ के एक ​दिन बाद ही तुलसीदास जी के शरीर पर निकले सारे फोड़े ठीक हो गए। तभी से बजरंग बाण को शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए सबसे शक्तिशाली पाठ माना जाता है।

बजरंग बाण पाठ का महत्व (Importance of Bajrang Baan)

हनुमान जी की आराधना कर जल्द से जल्द आशीर्वाद पाने के लिए बजरंग बाण को सबसे अचूक उपाय माना जाता है। हनुमान चालीसा की तरह बजरंग बाण का पाठ रोजाना नहीं किया जाता, इसका उद्देश्य किसी विशेष कार्य की सिद्धि के लिए ही है। प्रभु श्रीराम के परम भक्त होने के नाते बजरंग बाण में मुख्य रूप से भगवान राम की भी सौगंध दी गई है। माना जाता है कि जब भी आप श्रीराम की सौगंध लेंगें, तो हनुमान जी आपकी मदद के लिए जरूर आएंगे।

मंगलवार के दिन सुबह के समय स्नान करने के बाद ही बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए। ध्यान रखें कि पाठ करते समय शब्दों का उच्चारण साफ और स्पष्ट हो। विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए किए जाने वाले इस पाठ को कम से कम 41 दिनों तक नियमपूर्वक करें। इन दिनों के दौरान विशेष रूप से लाल रंग का कपड़ा पहनें।

बजरंग बाण पाठ के 10 लाभ (10 Benefits of Bajrang Baan)

बजरंग बाण के पाठ से मन से किसी भी प्रकार का भय दूर हो जाता है।

अगर आप किसी प्रकार के रोग से ग्रसित हैं तो माना जाता है कि इसका पाठ करने से वह रोग ठीक हो जाता है।

कुंडली में किसी भी प्रकार के दोष से इस पाठ के द्वारा छुटकारा पाया जा सकता है।

कार्य में आ रही किसी भी प्रकार की बाधा को दूर करने और उसमें सफलता प्राप्त करने के लिए इसका पाठ किया जाता है।

दुश्मनों पर जीत हासिल करने के लिए इस पाठ को अचूक उपाय माना जाता है।

कुंडली में मांगलिक दोष होने के कारण विवाह होने में काफी समस्या आती है। माना जाता है कि नियमित रूप से मंगलवार को बजरंग बाण का पाठ करने से विवाह के बीच आ रही सभी अरचन दूर हो जाती है।

इंसान को वास्तुदोष की वजह से जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। घर में पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करके बजरंग बाण का पाठ करने से वास्तुदोष से मुक्त हो सकते हैं।

अपने घर का सपना पूरा करने के लिए भी यह पाठ किया जाता है।

नौकरी पाने की कामना के लिए भी यह पाठ सहायक होता है। हालांकि, इस पाठ के साथ आपको कर्म भी करना पड़ेगा।

शनि की दशा के कारण कोई भी कार्य संभव नहीं हो पाता तो इस पाठ का प्रयोग कर सकते हैं।

बजरंग बाण पाठ में न करें ये गलती (Do not make these mistake while reciting Bajrang Baan)

  • इस पाठ को कहीं भी कोई भी न करे। इसका प्रयोग घोर संकट में होने पर ही करें।
  • जितने दिनों तक बजरंग बाण का पाठ करें उतने दिन ब्रहम्चर्य का पालन करना न भूलें।
  • बजरंग पाठ के दिनों में नशा व तामसिक चीजों का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
  • किसी का बुरा करने की कामना के साथ यह पाठ नहीं करना चाहिए।
  • अनैतिक कार्य की पूर्ति या विवाद की स्थिति में विजय हासिल करने के लिए बजरंग बाण के पाठ का प्रयोग न करें।
  • बिना कर्म के इस पाठ के जरिये किसी कार्य में सफलता हासिल करने के लिए यह पाठ न करें।
  • धन, ऐश्वर्य या भौतिक इच्छा की पूर्ति के लिए भी बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए।

बजरंग बाण पाठ लिखित में (Bajarang Ban path in Written)

॥ दोहा ॥

निश्चय प्रेम प्रतीत ते, विनय करें सनमान । तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ॥

॥ चौपाई ॥

जय हनुमंत संत हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ॥०१॥

जन के काज विलम्ब न कीजै । आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥०२॥

जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा । सुरसा बद पैठि विस्तारा ॥०३॥

आगे जाई लंकिनी रोका । मारेहु लात गई सुर लोका ॥०४॥

जाय विभीषण को सुख दीन्हा । सीता निरखि परम पद लीन्हा ॥०५॥

बाग उजारी सिंधु महं बोरा । अति आतुर यम कातर तोरा ॥०६॥

अक्षय कुमार मारि संहारा । लूम लपेट लंक को जारा ॥०७॥

लाह समान लंक जरि गई । जय जय धुनि सुर पुर महं भई ॥०८॥

अब विलम्ब केहि कारण स्वामी । कृपा करहु उर अन्तर्यामी ॥०९॥

जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता । आतुर होय दुख हरहु निपाता ॥१०॥

जै गिरिधर जै जै सुखसागर । सुर समूह समरथ भटनागर ॥११॥

ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले। बैरिहिं मारू बज्र की कीले ॥१२॥

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो । महाराज प्रभु दास उबारो ॥१३॥

ॐ कार हुंकार महाप्रभु धावो । बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ॥१४॥

ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा । ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा ॥१५॥

सत्य होहु हरि शपथ पाय के । रामदूत धरु मारु धाय के ॥१६॥

जय जय जय हनुमंत अगाधा । दु:ख पावत जन केहि अपराधा ॥१७॥

पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा ॥१८॥

वन उपवन, मग गिरि गृह माहीं । तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ॥१९॥

पांय परों कर जोरि मनावौं । यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ॥२०॥

जय अंजनि कुमार बलवन्ता । शंकर सुवन वीर हनुमंता ॥२१॥

बदन कराल काल कुल घालक । राम सहाय सदा प्रति पालक ॥२२॥

भूत प्रेत पिशाच निशाचर । अग्नि बेताल काल मारी मर ॥२३॥

इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की । राखु नाथ मरजाद नाम की ॥२४॥

जनकसुता हरि दास कहावौ । ताकी शपथ विलम्ब न लावो ॥२५॥

जय जय जय धुनि होत अकाशा । सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा ॥२६॥

चरण शरण कर जोरि मनावौ । यहि अवसर अब केहि गौहरावौं ॥२७॥

उठु उठु चलु तोहिं राम दुहाई । पांय परौं कर जोरि मनाई ॥२८॥

ॐ चं चं चं चं चपल चलंता । ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ॥२९॥

ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल । ॐ सं सं सहमि पराने खल दल ॥३०॥

अपने जन को तुरत उबारो । सुमिरत होय आनन्द हमारो ॥३१॥

यह बजरंग बाण जेहि मारै । ताहि कहो फिर कौन उबारै ॥३२॥

पाठ करै बजरंग बाण की । हनुमत रक्षा करैं प्राण की ॥३३॥

यह बजरंग बाण जो जापै । तेहि ते भूत प्रेत सब कांपे ॥३४॥

धूप देय अरु जपै हमेशा । ताके तन नहिं रहै कलेशा ॥३५॥

॥ दोहा ॥

प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान । तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान ॥