गणेश जी की आरती का महत्व और लाभ

इस विधि से करें गणेश की आरती

गणेश जी की आरती का महत्व (Importance of Ganesha Aarti)

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, भक्तों के बड़े से बड़े कष्टों और संकट को गणेश भगवान खत्म कर देते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार कोई भी शुभ काम शुरू करने से पहले विनायक जी पूजा अर्चना करनी चाहिए। उससे आपके सभी मनोरथ सफल होंगे और मार्ग में आने वाली सभी बाधाओं को लंबोदर भगवान खत्म करेंगे, जिस तरह से पूजा में सबसे पहले गणेश भगवान की आराधना का विधान है, ठीक उसी तरह गणाध्यक्ष जी की आरती का विधान है। गजानन की आरती करने से नकारात्मक शक्तियां खत्म हो जाती हैं और सद्बुद्धि आती है।

गणेश जी की आरती शुरू करने से पहले इस मंत्र को बोलें (Read these Mantra before Ganesha Aarti)

“वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ।।“

गणेश जी की आरती कैसे करें (How to do Ganesha Aarti)

  • गणेश जी आरती भी सूर और लय का ध्यान रखते हुए गाएं।
  • इसके साथ ही झांझ, मझीरा, तबला, हारमोनियम आदी वाद्य यंत्र बजाएं।
  • आरती गाते समय शुद्ध उच्चरण करें। आरती के लिए शुद्ध कपास यानी रूई से बनी घी की बत्ती होनी चाहिए।
  • तेल की बत्ती का उपयोग करने से बचना चाहिए। कपूर आरती भी की जाती है। बत्तियों की संख्या एक, पांच, नौ, ग्यारह या इक्किस हो सकती है।
  • आरती घड़ी के कांटो की दिशा में लयबद्ध तरीके से करनी चाहिए।

गणेश जी की आरती करने के 10 लाभ (10 Benefits of Worshipping Ganesha)

• श्री गणेश आरती करने से गणेश जी जल्दी प्रसन्न होते है। • गजानन जी आरती करने से धन संपत्ति, रिद्धि सिद्धि की प्राप्ति होती है। • गजकर्णक जी की आरती करने से जातक के जीवन में खुशियां आती है। • विनायक जी की आरती करने से जीवन के सारे दुख तकलीफ दूर होते हैं। • विघ्नहर्ता की आरती नियमित करने से हमारे जीवन की सारी विघ्न, बाधायें, विपत्तियां दूर होती है। • गणाध्यक्ष जी की आरती करने से घर परिवार में सुख शांति व समृद्धि बनी रहती है। • सच्चे मन से लंबोदर की आराधना और आरती करने से व्यापार में तरक्की मिलती है। • विद्यार्थी वर्ग के लिए भी गणेश जी की वंदना काफी लाभदायक होता है। गजकर्णक की आरती करने से एकाग्रता बढ़ती है और विद्यार्थियों का पढ़ाई में मन लगता है। • विघ्न-नाश जी शत्रुओं का विनाष करते हैं। अगर आप शत्रुओं से परेशान हैं तो विघ्न-नाश जी की आराधना और आरती करें, आपको अवश्य लाभ मिलेगा। • एकदंत जी की चालीसा के पाठ और आरती से शादी विवाह में आ रही देरी, परेशानियां दूर होती है। श्री गणेश जी की कृपा से शादी के योग जल्दी बनते हैं। • श्री गणेश चालीसा के नियमित पाठ और आरती से बुध दोष की ग्रह दशा समाप्त होती है।

गणेश जी की आरती में न करें ये गलतियाँ (Mistakes not to do in Ganesha Aarti)

  1. गणेश जी की आरती कभी भी काले वस्त्र पहनकर नहीं करनी चाहिए। क्योंकि ये नकारात्मकता का रंग माना जाता है। जबकि गजानन की आराधना पीले, सफेद या लाल रंग के कपड़े पहनकर करनी चाहिए।
  2. गणेश भगवान के सामने दीपक जलाते समय बार-बार उसका स्थान न बदलें। क्योंकि कई लोग दीया जमीन पर जलाने के बाद उसे सिंघासन पर रखते हैं या उसकी स्थिति को ठीक करते हैं। मगर ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से पूजा का कोई फल नहीं मिलेगा।
  3. गजानन को भोग में लगाई गई चीजें पूजा के बाद सिंघासन पर न छोड़ें। इससे घर में दरिद्रता आ सकती है।
  4. गणेश जी को कभी भी पूजा में तुलसी के पत्ते न चढ़ाएं। क्योंकि एक बार तुलसी गणेश जी को देखकर उन पर मोहित हो गई थी और उनसे विवाह करना चाहती थीं। मगर गणेश ने उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया। तभी तुलसी ने गजानन को दो शादी करने का श्राप दे दिया था।
  5. लंबोदर को दूर्वा बहुत पसंद है क्योंकि एक बार उनके पेट में जलन पड़ रही थी। तब उन्हें 21 गांठों वाली दूर्बा दी गई थी। ऐसे में पूजा में 21 गांठों वाली दूर्वा ही चढ़ाएं। इससे कम दूर्वा चढ़ाने पर पूजा सार्थक नहीं मानी जाएगी।
  6. गणेश जी की घर में एक से ज्यादा मूर्ति या तस्वीर नहीं रखनी चाहिए। क्योंकि इससे मूर्ति दोष लग सकता है। साथ ही धन की हानि हो सकती है।
  7. गणेश जी को पंचामृत भी नहीं चढ़ाना चाहिए। क्योंकि इसमें मौजूद दही चंद्र का प्रतीक होती हैं और चंद्र देव को गजानन ने श्राप दिया था।
  8. गणेश चतुर्थी के दिन चांद नहीं देखना चाहिए। इससे व्यक्ति को अपमानित होना पड़ सकता है। क्योंकि चंद्र देव के गणेश जी का मजाक उड़ाने पर उन्होंने चंद्र को क्षीण होने का श्राप दिया था।
  9. गणेश चतुर्थी के दिन कभी पेड़ से कैथा नहीं तोड़ना चाहिए। क्योंकि ये गणेश भगवान का पसंदीदा फल है और गजानन के पूजा वाले दिन इसे तोड़ना भगवान का अपमान समझा जाता है।

श्री गणेश आरती (Shri Ganesh Aarti in hindi )

॥ आरती के लिरिक्स ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी । कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥