Home » गणेश जी की आरती का महत्व और लाभ
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, भक्तों के बड़े से बड़े कष्टों और संकट को गणेश भगवान खत्म कर देते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार कोई भी शुभ काम शुरू करने से पहले विनायक जी पूजा अर्चना करनी चाहिए। उससे आपके सभी मनोरथ सफल होंगे और मार्ग में आने वाली सभी बाधाओं को लंबोदर भगवान खत्म करेंगे, जिस तरह से पूजा में सबसे पहले गणेश भगवान की आराधना का विधान है, ठीक उसी तरह गणाध्यक्ष जी की आरती का विधान है। गजानन की आरती करने से नकारात्मक शक्तियां खत्म हो जाती हैं और सद्बुद्धि आती है।
“वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ।।“
• श्री गणेश आरती करने से गणेश जी जल्दी प्रसन्न होते है। • गजानन जी आरती करने से धन संपत्ति, रिद्धि सिद्धि की प्राप्ति होती है। • गजकर्णक जी की आरती करने से जातक के जीवन में खुशियां आती है। • विनायक जी की आरती करने से जीवन के सारे दुख तकलीफ दूर होते हैं। • विघ्नहर्ता की आरती नियमित करने से हमारे जीवन की सारी विघ्न, बाधायें, विपत्तियां दूर होती है। • गणाध्यक्ष जी की आरती करने से घर परिवार में सुख शांति व समृद्धि बनी रहती है। • सच्चे मन से लंबोदर की आराधना और आरती करने से व्यापार में तरक्की मिलती है। • विद्यार्थी वर्ग के लिए भी गणेश जी की वंदना काफी लाभदायक होता है। गजकर्णक की आरती करने से एकाग्रता बढ़ती है और विद्यार्थियों का पढ़ाई में मन लगता है। • विघ्न-नाश जी शत्रुओं का विनाष करते हैं। अगर आप शत्रुओं से परेशान हैं तो विघ्न-नाश जी की आराधना और आरती करें, आपको अवश्य लाभ मिलेगा। • एकदंत जी की चालीसा के पाठ और आरती से शादी विवाह में आ रही देरी, परेशानियां दूर होती है। श्री गणेश जी की कृपा से शादी के योग जल्दी बनते हैं। • श्री गणेश चालीसा के नियमित पाठ और आरती से बुध दोष की ग्रह दशा समाप्त होती है।
श्री गणेश आरती (Shri Ganesh Aarti in hindi )
॥ आरती के लिरिक्स ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी । कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥