हनुमान चालीसा क्या है ? (What is Hanuman Chalisa)
सनातन परंपरा में अपने भगवान या ईष्ट को प्रसन्न करने के लिए भक्त प्रार्थना करते हैं। वहीं भक्तों द्वारा की गई प्रार्थना अलग-अलग प्रकार की होती है, जैसे कोई आरती करता है, कोई व्रत रखता है तो कोई पाठ करता है। वैसी ही कोई भक्त चालीसा का पाठ करता हैं। चालीसा किसी भी देवी-देवता की हो सकती है। 40 छंद होने के कारण इसे चालीसा कहा जाता है। इसकी भाषा सरल होती है, इसलिए इसे हर व्यक्ति आसानी से पढ़ सकता है। हनुमान चालीसा का पाठ रामभक्त हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इसमें हनुमान जी के चरित्र का वर्णन किया गया है। हनुमान चालीसा में हनुमान जी व उनके ईष्ट प्रभु श्रीराम की कई कहानियों का भी उल्लेख किया गया है। भारत की सभी भाषाओं में हनुमान चालीसा का अनुवाद हो चुका है। यह गीता प्रेस द्वारा सबसे ज्यादा छापी जाने वाली पुस्तिका है।
हनुमान चालीसा किसने और क्यों लिखी ? (Who and why wrote Hanuman Chalisa)
दुनियाभर में रोजाना सबसे ज्यादा हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की रचना जेल में की थी। कहा जाता है कि मुगल शासक अकबर ने एक बार तुलसीदास जी को अपने दरबार में बुलाया और अपनी प्रशंसा में कुछ ग्रंथ लिखने को कहा, लेकिन तुलसीदास जी ने मना कर दिया। जिसके बाद अकबर ने उन्हें बंदी बना लिया।
तुलसीदास जी बचपन से ही हनुमान जी के भक्त थे। जेल में रहने के दौरान उन्होंने हनुमान चालीसा लिखी। यही नहीं, कई बार हनुमान चालीसा का पाठ भी किया। बताया जाता है कि हनुमान चालीसा का बार-बार पाठ करने से बंदरों के झुंड ने महल में तैनात सिपाहियों पर हमला कर दिया। यह बात जब अकबर को पता चली तो उसने तुरंत ही तुलसीदास जी को रिहा करने का आदेश दे दिया।
हनुमान चालीसा का महत्व (Importance of Hanuman Chalisa)
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, हनुमान जी को अमरता का वरदान मिला था। माना जाता है कि आज भी हनुमान जी धरती पर विराजमान हैं और जहां भी रामचरितमानस या हनुमान चालीसा का पाठ होता है वह वहां किसी न किसी रूप में पहुंच जाते हैं। इसलिए भक्तों द्वारा सबसे ज्यादा हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है।
कहा जाता है कि तुलसीदास जी द्वारा जेल में हनुमान चालीसा का पाठ करने से उनका संकट कट गया। इसलिए हनुमान चालीसा में एक लाइन भी है- संकट कटे मिटे सब पीरा जो सुमिरे हनुमत बलबीरा। इसका अर्थ है कि अगर हर दिन हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो हर संकट दूर हो सकते हैं।
हनुमान चालीसा कैसे पढ़ें ? (How to read Hanuman Chalisa)
हनुमान चालीसा का पाठ सबसे शक्तिशाली और लोकप्रिय माना जाता है। इसका पाठ आप कभी भी कहीं भी कर सकते हैं। लेकिन कुछ विधि के अनुसार हनुमान चालीसा का पाठ करने से इसका शुभ फल जल्द से जल्द प्राप्त होता है।
अपने घर या ऑफिस में हनुमान जी व उनके ईष्ट प्रभु श्रीराम जी के चित्र की स्थापना करें। भगवान के समक्ष जल से भरा एक पत्र रखें और रोजाना कम से कम 3 से 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। पाठ के बाद प्रभु के समक्ष पात्र में रखे जल को प्रसाद की तरह ग्रहण कर लें। कोशिश करें कि रोजाना एक ही तय समय पर पाठ करें। चाहें वह सुबह हो या शाम। मंगलवार का दिन हनुमान जी का दिन माना जाता है, इसलिए इस दिन खासतौर पर हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें।
हनुमान चालीसा पढ़ने के 10 लाभ (10 benefits of reading Hanuman Chalisa)
हनुमान चालीसा का पाठ करने से घर, मन व शरीर से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है।
पवित्र रहकर रोजाना नियम से हनुमान चालीसा पढ़ी जाए तो ग्रहों के बुरे प्रभाव दूर हो जाते हैं।
रोजाना हनुमान चालीसा के पाठ से तनाव दूर होता है और घर में खुशनुमा माहौल बना रहता है।
अगर आप रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो बुराई आपसे कोसो कदम दूर चली जाएगी।
हनुमान चालीसा के पाठ से व्यापार व नौकरी दोनों में तरक्की के रास्ते खुलते हैं।
रोगों से मुक्ति के लिए भी हनुमान चालीसा का निरंतर पाठ करना चाहिए।
वैसे तो हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है। हनुमान चालीसा में हर समस्या के हल के लिए छंद लिखे गए हैं, जिनका पाठ करने से उस समस्या का समाधान हो जाता है।
1- बच्चों का अगर पढ़ाई में मन नहीं लग रहा तो
इस छंद का पाठ करें- ‘बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार’
2- अगर किसी प्रकार का भय या डर लगे तो
इस छंद का पाठ करें- ‘भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे’
3- अगर किसी कार्य को सिद्ध करना हो तो
इस छंद का पाठ करें- ‘भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचन्द्र के काज संवारे’
4- अगर किसी प्रकार से जान का खतरा महसूस हो तो
इस छंद का पाठ करें- ‘संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा’
हनुमान चालीसा पढ़ते समय ना करें ये काम (Don’t do this while reading Hanuman Chalisa)
- कभी भी बीच से पाठ की शुरुआत न करें।
- गंदे मन व तन से कभी भी हनुमान चालीसा का पाठ न करें।
- मांस व शराब का सेवन बिल्कुल भी न करें।
- पराई स्त्री से दूरी बनाकर रखें।
- झूठ न बोलें व किसी प्रकार का कोई अपराध न करें।
- हनुमान चालीसा पढ़ने में जल्दबाजी न करें।
हनुमान चालीसा हिंदी में (Hanuman Chalisa in Hindi)
॥ श्री हनुमान चालीसा Lyrics ॥
॥ दोहा॥ श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥ बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार । बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥
राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा । कानन कुण्डल कुँचित केसा ॥४
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै । काँधे मूँज जनेउ साजै ॥
शंकर स्वयं/सुवन केसरी नंदन । तेज प्रताप महा जगवंदन ॥
बिद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया ॥८
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा । बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे । रामचन्द्र के काज सँवारे ॥
लाय सजीवन लखन जियाए । श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं । अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते । कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना । राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना । लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु । लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं । जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥
दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०
राम दुआरे तुम रखवारे । होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना । तुम रक्षक काहू को डरना ॥
आपन तेज सम्हारो आपै । तीनों लोक हाँक तै काँपै ॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै । महावीर जब नाम सुनावै ॥२४
नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥
संकट तै हनुमान छुडावै । मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥
सब पर राम तपस्वी राजा । तिनके काज सकल तुम साजा ॥
और मनोरथ जो कोई लावै । सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८
चारों जुग परताप तुम्हारा । है परसिद्ध जगत उजियारा ॥
साधु सन्त के तुम रखवारे । असुर निकंदन राम दुलारे ॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता । अस बर दीन जानकी माता ॥
राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२
तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम जनम के दुख बिसरावै ॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई । जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥
और देवता चित्त ना धरई । हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६
जै जै जै हनुमान गोसाईं । कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥
जो सत बार पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महा सुख होई ॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा । होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥४०
॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप । राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥