हिन्दू धर्म में 16 संस्कार होते हैं उनमें से एक बच्चे का मुंडन संस्कार होता है। जब एक बच्चा जन्म लेता है तो बच्चे के जन्म के पहले साल, तीसरे साल या फिर पांचवें साल में मुंडन संस्कार होता है। मुंडन संस्कार जब होता है तो बच्चे की सिर की चाँद पर थोड़े बालों को रखा जाता है और बाकि के सभी बाल काट दिए जाते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इसी संस्कार को मुंडन संस्कार कहा जाता है। यह सिर पर चोटी रखने वाले संस्कार को उपनयन संस्कार और यज्ञोपवीत में भी कराया जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार यज्ञोपवीत संस्कार, उपनयन संस्कार, यज्ञ, पूजा, या किसी भी धार्मिक कार्य में चोटी रखना महत्वपूर्ण माना गया है। यदि किसी की मृत्यु हो जाती है तब भी सिर पर घर के लोग शिखा छोड़ते हैं। यदि कोई अपने सिर पर चोटी छोड़ता है तो चोटी रखने का वैज्ञानिक महत्व है और चोटी रखने का महत्व ज्योतिष में भी हैं।

सिर पर शिखा रखना प्राचीन संस्कृति है और हमारी संस्कृति में छोटी छोटी बात के पीछे कहीं न कहीं वैज्ञानिक आधार छिपा होता है। आज विज्ञान जिन विषयो पर रिसर्च कर रहा है, हमारी संस्कृति में पहले से ही विद्यमान है। तो जो ऐसा सोचते हैं कि संस्कृति अंध विश्वास पर टिकी है तो निराधार है उनकी सोच।

यहां हम सिर पर शिखा रखने की बात कर रहे हैं, तो इसके पीछे भी बहुत बड़ा वैज्ञानिक आधार है-

  1. ब्राह्मणों के लिए शिखा रखना मुख्य था जो आज भी है। यह ब्राह्मणों की पहचान भी माना जाता है, क्योंकि ब्राह्मण को ज्ञानी, विद्या आदि का ज्ञाता माना जाता था और शिखा रखने से मस्तिष्क तेज होता है, ज्ञान वृद्धि होती है।
  2. योग व अध्यात्म के अनुसार शरीर मे मुख्य 7 चक्र होते है और इन चक्रों में अंतिम चक्र सहस्रार होता है – शिखा के स्थान पर। यहीं सुषुम्ना, इड़ा व पिंगला आदि नाड़ियों का मिलन होताहै।
  3. यह भाग सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण लेकिन नाजुक भी माना जाता है, इसलिए इसे cover करके रखने के लिए भी शिखा रखी जाती है।
  4. शिखा से मस्तिष्क में रक्त संचार व ऊर्जा नियंत्रित रहती है।
  5. शिखा से इस भाग में तापमान नियंत्रित रहता है।

शिखा रखने के ये सभी कारण पूर्णतः वैज्ञानिक हैं। पहले हर विद्यार्थी या ज्ञान संचित करने वाले को शिखा रखनी आवश्यक थी।

लेकिन हां समय के परिवर्तन, फैशन के अनुसार आजकल शिखा नही रखी जाती, फिर भी ब्राह्मण वर्ग में शिखा रखना आवश्यक मानते है।

किंतु शिखा की चौड़ाई गाय के पैर के खुर के बराबर होनी चाहिए। वर्तमान में इस पर ध्यान न देकर केवल कुछ बाल शिखा के छोड़ दिये जाते हैं।

वास्तव में शिखा रखना केवल एक वर्ग के लिए फायदेमंद नही है, अपितु इसका सीधा संबंध ज्ञान व मस्तिष्क से है। आजकल फैशन के अनुरूप शिखा रखे य न रखे लेकिन इस स्थान का विशेष ध्यान रखना चाहिए –

  1. हमेशा इस स्थान को ढक कर रखें।
  2. इस स्थान की मालिश करे ताकि रक्त संचार व ऊर्जा प्रवाह अच्छा हो।
  3. इस स्थान पर चोट न लगे विशेष सुरक्षित रखे।