महालक्ष्मी की आरती कैसे करें और क्या लाभ है

जानें महत्व और पाएं आरती का पूरा लाभ

महालक्ष्मी आरती (Mahalaxmi Arti)

हिंदू धर्म में सभी देवी देवताओं की पूजा अर्चना का बहुत महत्व है। यह पूजा अर्चना आरती के बिना अधूरी मानी जाती है। आरती का अर्थ शुद्ध मन से भक्त अपने भगवान को प्रसन्न करते हैं। इसी प्रकार धन प्रा​प्ति, सुख व समृद्धि के लिए महालक्ष्मी जी की आरती कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है। महालक्ष्मी जी की आरती तो सभी करते हैं, लेकिन बिना अर्थ जाने व अशुद्ध उच्चारण की वजह से भक्तों को उसका सही फल नहीं मिल पाता।

महालक्ष्मी जी की आरती 16 पंक्तियों की है, जिनमें मां लक्ष्मी जी की उत्पत्ति से लेकर उनकी कृपा से मिलने वाले फल के बारे में बताया गया है। आरती में महालक्ष्मी जी की महिमा व उनके गुणों का गान किया गया है। आरती का अर्थ जानने के बाद महालक्ष्मी जी का महत्व व उनके प्रभाव के बारे में पता चलता है। इसी से भक्तों के मन में भक्ति-भाव जागृत होते हैं।

महालक्ष्मी आरती का महत्व (Importance of Mahalaxmi Arti)

मां महालक्ष्मी को धन-वैभव की देवी माना जाता है। नियम से महालक्ष्मी की पूजा करने से धन-संपत्ति की कभी कोई कमी नहीं रहती। माना जाता है कि मां महालक्ष्मी जी को प्रसन्न करना हो तो प्रतिदिन पूजा के साथ उनकी आरती करनी चाहिए। महालक्ष्मी को श्री के रूप में भी जाना जाता है। खासकर दीपावली पर लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है, लेकिन वैभव लक्ष्मी व्रत, कोजागर पूर्णिमा, लक्ष्मी जयंती (फाल्गुन पूर्णिमा) लक्ष्मी पंचमी (चैत्र शुक्ल पंचमी ) और वरलक्ष्मी व्रत सहित अन्य कई त्योहार मां महालक्ष्मी जी की पूजा के लिए मनाए जाते हैं। शुक्रवार का दिन महालक्ष्मी जी की पूजा के लिए समर्पित है। वैसे तो रोजाना महालक्ष्मी जी की पूजा के साथ आरती करनी चाहिए, लेकिन गुरुवार व शुक्रवार को महालक्ष्मी जी की आरती से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

माता लक्ष्मी जी की पूजा कभी अकेले नहीं की जाती, नहीं तो वह पूजा संपन्न नहीं मानी जाती। महालक्ष्मी जी की पूजा भगवान गणेश व मां सरस्वती के साथ ही की जाती है। दीपावली के त्योहार पर भी तीनों को एक साथ पूजा जाता है। ताकि धन का सदुपयोग हो सके। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां लक्ष्मी ने स्वयं कहा है कि जहां भी उनकी पूजा होगी वहां भगवान गणेश की पूजा के बिना महालक्ष्मी का आशीर्वाद नहीं मिलेगा।

महालक्ष्मी आरती कैसे करें (How to do Mahalaxmi Arti)

  • महालक्ष्मी जी की आरती करते समय तन व मन दोनों को शुद्ध कर लेना चाहिए।
  • आरती दिन में 2 बार की जाती है, सुबह और शाम।
  • अपने घर या महालक्ष्मी जाकर मां की आरती कर सकते हैं।
  • आरती के लिए एक थाल लें। उसमें कमल का फूल, कुछ चावल के दाने व थोड़ा सिंदूर रख लें।
  • साथ ही थाल में आरती में रूई से बनी घी की बाती जलाकर रख लें। बाती एक, 5 9, 11 या 21 होनी चाहिए। कपूर की भी आरती कर सकते हैं।
  • इसके बाद महालक्ष्मी जी की फोटो या प्रतिमा के सामने थाली दिखाकर महालक्ष्मी जी की आरती गाएं।
  • महालक्ष्मी जी की आरती में 16 पंक्तियां हैं। कहा जाता है कि आरती में शामिल इन पंक्तियों को ऊंची राग के साथ मध्यम स्वर व मध्यम वेग में गाया जाना चाहिए।
  • आरती पढ़ते समय शुद्ध उच्चारण का खास ख्याल रखना चाहिए।
  • आरती पढ़ने के साथ मधुर स्वर उत्पन्न करने वाले वाद्य यंत्र बजाने चाहिए।

महालक्ष्मी आरती करने के 10 लाभ (10 benefits of Mahalaxmi Arti )

  • जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं रहती।
  • बार-बार हो रही धन हानि की समस्या भी दूर हो जाती है।
  • मनुष्य की संपत्ति में लगातार बढ़ोतरी होती रहती है।
  • दाम्पत्य जीवन में खुशहाली आती है।
  • कारोबार में उन्नति होती है।
  • जीवन में धन के साथ वैभव मिलता है।
  • मन को शांति मिलती है।
  • धनलाभ के साथ व्यक्ति का आत्मबल भी बढ़ता है।

महालक्ष्मी की आरती में न करें ये काम (Do not do these things during Mahalakshmi Aarti)

  • मां महालक्ष्मी की आरती में तेल की बाती का प्रयोग न करें।
  • बिना नहाये आरती कभी न करें।
  • बिना महालक्ष्मी जी की पूजा के आरती न करें।
  • बीच से आरती पढ़ना न शुरू करें।
  • आरती हमेशा पूरी पढ़े, बीच में अधूरा न छोड़ें।

महालक्ष्मी जी की आरती हिंदी में (Mahalaxmi Arti in hindi)

॥ आरती के लिरिक्स ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता। सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख-संपति दाता। जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुम ही पाताल निवासिनी, तुम ही शुभदाता। कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

जिस घर तुम रहती हो, तांहि में हैं सद्गुण आता। सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता। खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता। रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता। उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।