महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra)
दुनिया में कई ऐसे काम हैं जिसे असंभव कहा जाता था लेकिन उसे संभव बनाया गया है। मंगल और चंद्रमा पर कदम रख चुके लेकिन मनुष्य ने जिस चीज के आगे हार मानी है वो अंतिम सत्य है मृत्यु। यह एक ऐसा सत्य है जिसे संसार की कोई दौलत नहीं बदल सकती। उम्र के हिसाब से मोक्ष की प्राप्ति होना यह नियति का नियम है, लेकिन अकाल मत्यु संसार का सबसे बड़ा दुख है। कहा जाता है कि महामृत्युंजय मंत्र का निरंतप जप करने वाले और उसके परिवार की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। आइए जानते हैं कि क्या है महा मृत्युंजय मंत्र और कैसे हुई इसकी उत्पत्ति।
क्या है महामृत्युंजय मंत्र (What is Mahamrityunjay Mantra)
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥” कैसे हुई महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति (How was Mahamrityunjay Mantra Originated) शिवजी के अनन्य भक्त मृकण्ड ऋषि संतानहीन होने के कारण दुखी रहते थे। विधाता ने उन्हें संतान नहीं दी थी। इसलिए मृकण्ड ऋषि ने महादेव की घोर तपस्या की। तब भोले नाथ ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर विधि के वि धान को बदलकर पुत्र का वरदान दिया। भोलेनाथ के वरदान से मृकण्ड को पुत्र हुआ जिसका नाम मार्कण्डेय पड़ा। ज्योतिषियों ने मृकण्ड को बताया कि यह विलक्षण बालक अल्पायु है इसकी उम्र केवल 12 वर्ष है। ऋषि का हर्ष दुख में बदल गया। मृकण्ड ने अपनी पत्नी को आश्वत किया-जिस ईश्वर की कृपा से संतान हुई है। वही भोलेनाथ इसकी रक्षा करेंगे। मार्कण्डेय बड़े होने लगे तो पिता ने उन्हें शिवमंत्र की दीक्षा दी। फिर बालक मार्कण्डेय ने भगवान शिव से दीर्घायु का वरदान पाने के लिए आराधना शुरू की। धीरे-धीरे वह 12 वर्ष के पूरे होने को आ गए। तब मार्कण्डेय ने शिवजी की आराधना के लिए महामृत्युंजय मंत्र की रचना की और शिव मंदिर में बैठकर इसका अखंड जप करने लगे। समय पूरा होने पर यमदूत उन्हें लेने आ गए लेकिन यमदूतों का मार्केण्डेय को छूने का साहस न हुआ और लौट गए, जिस पर यमराज क्रोधित हो मार्कण्डेय के प्राण को लेने स्वयं ही चल दिए। यमराज के मार्कण्डेय के पास पहुंचने पर बालक मार्कण्डेय ने यमराज को देखा तो जोर-जोर से महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हुए शिवलिंग से लिपट गया। यमराज ने बालक को शिवलिंग से खींचकर ले जाने की कोशिश की तभी शिवलिंग से स्वयं महाकाल प्रकट हो गए। और यमराज से बोले मैं अपने भक्त की स्तुति से प्रसन्न हूं इसलिए मैं इसे दीर्घायु होने का वरदान देता हूं अब तुम इसे नहीं ले जा सकते। यम ने कहा- प्रभु आपकी आज्ञा सर्वोपरि है मैं आपके भक्त मार्कण्डेय द्वारा रचित महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करने वाले को कभी त्रास नहीं दूंगा। महाकाल की कृपा से मार्केण्डेय दीर्घायु हो गए उनके द्वारा रचित महामृत्युंजय मंत्र भी अमर हो गया। महामृत्युंजय मंत्र काल को भी परास्त करने वाला माना जाता है।
महामृत्युंजय मंत्र जाप करने की विधि (Process of Chanting MahaMrityunjaya Mantra)
· महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से पहले भोलेनाथ के सामने धूप-दीप जलाएं।
· फिर कितनी बार मंत्र का जाप करना है, इसका संकल्प लें।
· शिव जी को चंदन, सफेद फूल, भांग, धतूरा, बेलपत्र चढ़ाएं।
· कुशा के आसन पर ही बैठकर ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।
· अगर संभव हो तो मंत्र का जाप करते समय शिवलिंग का जल से अभिषेक करते रहें।
महामृत्युंजय मंत्र का महत्व (Importance of MahaMrityunjaya Mantra)
भगवान भोलेनाथ के अनेक रूपों में एक रूप महामृत्युंजय भी है। महामृत्युंजय मंत्र में भगवान शिव के महामृत्युंजय स्वरूप से लंबी आयु की रक्षा प्रार्थना की गई है। इस मंत्र के छोटे और लंबे दो स्वरूप हैं। महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से मांगलिक दोष, नाड़ी दोष, कालसर्प दोष, भूत-प्रेत दोष, रोग, दुःस्वप्न, गर्भनाश, संतानबाधा कई दोषों का नाश होता है। महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करने से मनुष्य को शिवजी की कृपा तो प्राप्त ही होती है और कई असाध्य रोगों, मानसिक वेदना आदि से भी राहत मिलती है।
महामृत्युंजय मंत्र जाप के लाभ (Benefits of MahaMrityunjaya Mantra)
· दीर्घायु – जिस भी मनुष्य को लंबी उम्र पाने की इच्छा हो, उसे नियमित रूप से महामृत्युजंय मंत्र का जाप करना चाहिए।
· आरोग्य प्राप्ति – महामृत्युंजय मंत्र जाप करने से असाध्य बीमारियों का भी विनाश होता है।
· सम्पत्ति की प्राप्ति – महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करने से भगवान शिव हमेशा प्रसन्न रहते हैं और जातक को कभी धन-धान्य की कमी नहीं होने देते है।
· यश की प्राप्ति – महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से जातक को समाज में उच्च स्थान प्राप्त होता है। सम्मान की चाह रखने वाले जातक को प्रतिदिन महामृत्युजंय मंत्र का जाप करना चाहिए।
· संतान की प्राप्ति – महामृत्युजंय मंत्र का जाप करने से भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं और निसंतान महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है।
महामृत्युंजय मंत्र जाप करते समय न करें ये काम (Things not to do while chanting MahaMrityunjaya Mantra)
· महामृत्युंजय मंत्र का जप कभी भी जमीन पर बैठकर न करें। हमेशा कोई आसन का प्रयोग करें। कुशा का आसन प्रयोग करना सबसे अच्छा माना जाता है।
· अगर आपको महामृत्युंजय मंत्र का जाप लगातार कई दिन तक करना है तो उतने दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें और तामसिक वस्तुयओं से दूर रहें।
· इस मंत्र का जाप करने के लिए घर में या फिर मंदिर कोई जगह निर्धारित करें और रोजाना उसी स्थान पर बैठकर इस मंत्र का जाप करें।
· महामृत्युंजय मंत्र का जाप पूर्व दिशा की ओर मुहँ करके करना चाहिए। महामृत्युंजय मंत्र जाप मंत्र का जाप एकाग्रचित रखना चाहिए।
· जितने दिन इस मंत्र का जाप करें उतने दिन प्याज लहसुन और मांसाहार का प्रयोग भूलकर भी न करें।
महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra in hindi)
संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
लघु मृत्युंजय मंत्र
ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।