संकटनाशन स्तोत्र के लाभ

संकटनाशन स्तोत्र के लाभ

संकटनाशन स्तोत्र क्या है? (What is sankat nashan stotra)

भगवान गणेश सभी देवताओं में प्रथम पूज्य हैं। गणपति की कृपा जिस पर रहती है, उसके सभी संकटों का नाश हो जाता है और बिगड़े काम बनने लगते हैं। गजानन को खुश करने के लिए और उनकी कृपा के पात्र बनने के लिए नियमित रूप से संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। संकटनाशन गणेश स्तोत्र पाठ भगवान विघ्नहर्ता को सबसे ज्यादा प्रिय है। संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करने से जातक के सभी कष्टों का अंत हो जाता है। संकटनाशन स्तोत्र में गणपती के बारह नामों का उल्लेख है। जो जातक विघ्नहर्ता के इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसके सारे कष्ट खत्म हो जाते हैं। इसलिए इसे संकट को हरने वाला स्तोत्र भी कहा जाता है। इस स्तोत्र को विघ्ननाशक गणेश स्तोत्र भी कहते हैं। संकटनाशन गणेश स्तोत्र का जिक्र नारद पुराण और गणेश पुराण दोनों में मिलता है। नारद पुराण में नारद जी के द्वारा जबकि गणेश पुराण में देवताओं के द्वारा गणेश जी की स्तुति की गयी है। इस स्तोत्र के पाठ की विधि अत्यंत सरल है। संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ यदि आप रोजाना नहीं कर सकते तो सिर्फ बुधवार के दिन ही इसे 11 बार पढ़ें। इस पाठ को पढ़ने से पूर्व भगवान गणेश को सिंदूर, घी का दीपक, अक्षत, पुष्प, दूर्वा और नैवेद्य अर्पित करें। फिर मन में उनका ध्यान करने के बाद इस पाठ को पढ़ें।

संकटनाशन स्तोत्र का महत्व ? (Importance of sankat nashan stotra)

संकटनाशन गणेश स्तोत्र का नियमित पाठ करने से जातक को शांति मिलती है और जीवन से सभी प्रकार की बुराइयां दूर होती है। इस स्तोत्र के पाठ से स्वास्थ्य लाभ के साथ धन की वृद्धि होती है। मनुष्य भयमुक्त होता है। इस स्तोत्र के नित्य पठन से छह महीने में मनुष्य को इच्छित फल की प्राप्ति होती है। संकटनाशन स्तोत्र के पाठ से जॉब और रोजगार में भी तरक्की मिलती है। जातक के बड़े से बड़े संकट संकटनाशन स्तोत्र का पाठ करने से दूर हो जाता है। संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करने से सभी दुखों का अंत होता है और बिगड़े काम भी बनने लगते हैं.

संकटनाशन स्तोत्र पढ़ने का तरीका (process of sankat nashan stotra)

  •   	संकटनाशन स्तोत्र का पाठ करने से पहले जातक को स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनना चाहिए।
    
  •   	इसके बाद भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठ धूप-दीप जलाकर गणेश भगवान को निमंत्रण देना चाहिए।
    
  •   	इसके बाद भगवान जल से स्नान कराकर वस्त्र अर्पित करना चाहिए।
    
  •   	फिर गणेश जी को जल, फल और मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए।
    
  •   	उसके बाद संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
    
  •   	पाठ के खत्म होने के बाद गणेश जी की आरती जरूर करनी चाहिए।
     	
    

संकटनाशन स्तोत्र पढ़ने का लाभ (Benefits of sankat nashan stotra)

  •   	संकटनाशन गणेश स्तोत्र का नियमित पाठ करने से जातक के सभी कष्टों का अंत होता है और शांति मिलती है
    
  • संकटनाशन गणेश स्तोत्र का नियमित पाठ करने से जीवन से सभी प्रकार की बुराइयां दूर होती है।
    
  •   	इस स्तोत्र के पाठ से स्वास्थ्य लाभ के साथ धन की वृद्धि होती है। मनुष्य भयमुक्त होता है।
    
  •   	संकटनाशन गणेश स्तोत्र के नियमित पाठ से जातक को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
    
  •   	विद्यार्थी को विद्या तथा धन की कामना रखने वाले को धन और पुत्र की कामना रखने वालों को पुत्र की प्राप्ति होती है।
    
  •   	एक साल तक नियमित पाठ करने से मनुष्य सिद्धि को प्राप्त कर लेता है।
    

संकटनाशन स्तोत्र पढ़ते समय न करें ये काम (Things not to do while reading sankat nashan stotra)

  • संकटनाशन स्तोत्र का पाठ करते समय गणेश जी को टूटे हुए अक्षत नहीं चढ़ाना चाहिए।
  • संकटनाशन स्तोत्र का पाठ करते समय गणेश भगवान को तुलसी दल नहीं अर्पित करना चाहिए।
  • गणेश जी को सफेद फूल या केतकी के फूल नहीं चढ़ाने चाहिए।
  • भगवान गणेश की पूजा करते समय सूखे और बासी फूल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • सफेद रंग से जुड़े समान गणेश जी को नहीं चढ़ाया जाना चाहिए है।

संकटनाशन गणेश स्तोत्र -(Shri Sankat Nashan Ganesh Stotra)

श्री गणेशाय नमः॥

नारद उवाच, प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्। भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुःकामार्थसिद्धये॥

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्। तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्॥

लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च। सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम्॥

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम्। एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम्॥

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः। न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्। पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम्॥

जपेद्गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत्। संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत्। तस्य विद्या भवेत् सर्वा गणेशस्य प्रसादतः॥

॥ इति श्री नारदपुराणं संकटनाशनं महागणपति स्तोत्रम् संपूर्णम्॥