Home » अन्नपूर्णा मंत्र
अन्नपूर्णा मां को भोजन यानि अन्न की देवी कहा जाता है। मां अन्नपूर्णा भगवान शंकर की महाशक्ति माता पार्वती का ही अंश अवतार है। हिन्दू धर्म में भोजन ग्रहण करने से पहले मां अन्नपूर्णा के मंत्रों का जाप करना बहुत शुभ माना गया है। भोजन करने से पहले जातक मंत्रों के द्वारा मां अन्नपूर्णा को धन्यवाद देता है कि उसे अन्न ग्रहण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए घर में और खास कर रसोईघर में हमेशा साफ-सफाई रखनी चाहिए। हर एकादशी को गरीबों या ब्राह्मणों को अन्न दान करना करना चाहिए।
पौराणिक मान्यताओं की माने तो अन्न ग्रहण करने से पहले मां अन्नपूर्णा के मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए। इससे जीवन में सुख एवं समृद्धि आती है। पुराणों में किए वर्णन के अनुसार जो भी जातक अन्नपूर्णा मां की सुबह-शाम पूजा करता है और दोनों समय अपने रसोई घर में गाय के घी का दीपक प्रज्जवलित करके मां का ध्यान करता है, उसके घर में कभी भी किसी चीज़ की कमी नहीं रहती है। अर्थात उसके घर के भंडार हमेशा भरे रहते हैं।
1. कैलासाचलकन्दरालयकरी गौरी उमाशङ्करी कौमारी निगमार्थगोचरकरी ओङ्कारबीजाक्षरी। मोक्षद्वारकपाटपाटनकरी काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।
भगवान भोलेनाथ के साथ कैलाश नगरी में निवास करने वाली हे मां कौमारी आप मोक्षदायिनी हो, आप काशी नगरी की देवी हो। हे माता अन्नपूर्णा मेरा प्रणाम स्वीकार करें और अपने भक्त को भिक्षा रूप में अन्न प्रदान करने की कृपा करें।
2. योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्मार्थनिष्ठाकरी चन्द्रार्कानलभासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी। सर्वैश्वर्यसमस्तवाञ्छितकरी काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।
योग के आनंद में समाहित शत्रुओं का नाश करने वाली मां आपके आशीर्वाद से लोगों के मन में धर्म के प्रति आस्था जगती है। आपके अंदर सूर्य, चंद्रमा और अग्नि तीनों की शक्तियां समाहित है। हे मां मुझे अपना आशीर्वाद दें और अन्न प्रदान करें।
3. दृश्यादृश्यविभूतिवाहनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरी लीलानाटकसूत्रभेदनकरी विज्ञानदीपाङ्कुरी। श्रीविश्वेशमनःप्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।
हे मां संपूर्ण ब्रह्माण्ड आपके उदर में स्थित है। आपकी माया के प्रभाव से ही इस विश्व में सभी अपना-अपना कार्य कर रहे हैं। आप ही विज्ञान की जननी हैं और सभी अविष्कार आपके कारण ही संभव हो पाते हैं। हे मां अन्नपूर्णा अपने इस भक्त को अन्न प्रदान करें।
4. नानारत्नविचित्रभूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी मुक्ताहारविलम्बमानविलसद्वक्षोजकुम्भान्तरी। काश्मीरागरुवासिताङ्गरुचिरे काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।
आपने भिन्न-भिन्न प्रकार के रत्न जड़ित आभूषणों को पहना हुआ है। आपने अपने गले में कई तरह के मोतियों की माला पहनी हुई है और आपका वर्ण श्वेत है अर्थात आपका रंग सफेद है। आपके शरीर से केसर व अगर की सुगंध आ रही है। आप ही काशी नगरी की देवी हो। हे मां अन्नपूर्णा अब आप बिना देरी किये अपने इस भक्त को अन्न प्रदान करें।
5. नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी निर्धूताखिलघोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी। प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।
सभी सदैव आनंद की अनुभूति देने वाली मां आपके एक हाथ वर मुद्रा में है जो हमारा भय दूर करता है। और दूसरा हाथ हमे आशीर्वाद देता है जिससे हमें अन्न प्राप्त होता है। आप हम सभी के पापों का नाश करती हैं। आप साक्षात माहेश्वरी हो। हे मां अन्नपूर्णा अपने पुत्र रूपी भक्त को अन्न प्रदान करें।