Home » नारायण मंत्र
भगवान विष्णु को सनातन धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक माना जाता है। विष्णु भगवान को नारायण और श्री हरि के नाम से भी जाना जाता है। वैष्णव सम्प्रदाय के भगवान विष्णु और उनके स्वरूपों की आराधना करते हैं। हिन्दू धर्म के आधारभूत ग्रन्थों में बहुमान्य पुराण अनुसार नारायण परमेश्वर के तीन मुख्य रूपों में से एक रूप हैं। त्रिमूर्ति के दो अन्य रूप में से एक हैं ब्रह्मा जी, जिन्हें सृष्टि का सृजन कर्ता कहा जाता है और दूसरे हैं शिव जी, जिनको सृष्टि का संहारक माना जाता है। भगवान नारायण के मंत्रों को बहुत ही चमत्कारी माना जाता है। भगवान नारायण के मंत्रों का जाप करने से घर में माता लक्ष्मी का वास होता और भक्तों के जीवन से आर्थिक समस्याएं दूर हो जाती हैं। साथ ही भगवान नारायण के नाम का स्मरण करने से और स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। मान्यता है कि नारायण जी की अराधना करने से मनुष्य के पिछले जन्म और इस जन्म दोनों के पापों से मुक्ति मिलती है और उसे पुण्य फल की प्राप्ति होती है। गुरुवार के दिन अगर सही विधि से पूजन किया जाए और पूजन विधि का ध्यान रखा जाए, तो भगवान नारायण और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
नारायण शब्द का सन्धि विच्छेद नार+आयण यानी जल पर प्रकट होने वाला भगवान। नारायण शब्द परमेश्वर का वाच्य शब्द है जिसका अर्थ जन्म न लेकर जल पर प्रकट होने वाला भगवान नारायण कहलाता है। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय यह द्वादशाक्षर मंत्र भगवन का मंत्र है श्रीमन नारायण का उल्लेख भागवत महापुराण और विष्णु पुराण में अच्छी तरह है। श्री हरी, विष्णु, मुकुंद, नारायण इत्यादि अनंत नाम है नारायण जी के 24 अवतार कहे गए है, जिनमें श्री कृष्ण अवतार को पूर्णावतार कहा जाता है। सनातन धर्म में भगवान विष्णु यानी नारायण को सृष्टि का पालनहार कहा गया है। इसलिए हिन्दू धर्म में उनकी उपासना का विशेष महत्व है। मान्यता है कि भगवान नारायण की उपासना के लिए गुरुवार का दिन सबसे उत्तम होता है। इस दिन भगवान नारायण की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और वह सदैव अपने जीवन में सफल होते हैं। गुरुवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान कर श्री हरि की उपासना करने से विशेष फल प्राप्त होता है और भगवान नारायण प्रसन्न होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु को समर्पित किसी भी सरल मंत्र जैसे ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ अथवा ‘ॐ नमो नारायण’ या फिर ‘श्रीमन नारायण नारायण हरि-हरि’ का श्रद्धापूर्वक जाप कर सकते हैं।
ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि। श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।। अर्थ – हे श्री कृष्ण आप दुखों का अंत करने वाले हैं मेरे अवगुणों को हर लीजिए और मुझे अपनी भक्ति का आशीर्वाद दीजिए। आप मेरे प्राणों की रक्षा कीजिए।
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने । प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः। अर्थ – हे प्रभु आपके ध्यान मात्र से सभी प्रकार के कलह का अंत होता है। श्री गोविंद आप मेरा प्रणाम स्वीकार करें।
नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि । तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥ अर्थ – हे श्री हरि नारायण आप बुद्धि देने वाले हैं आप सर्वस्व हैं आप सर्वव्यापी हैं। भगवन मुझे अपनी शरण में लें और मेरे सभी प्रकार के कष्टों का अंत करें।
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये: अमृतकलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्वरोगनिवारणाय त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥ ॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृत कलश हस्ताय सर्व आमय विनाशनाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णवे नमः || अर्थ – हे प्रभु आप तीनों लोकों के स्वामी हैं, आप सबके कष्टों का अंत करते हैं तीनों लोकों के प्राणियों के दुखों का नाश करते हैं और धन-संपदा प्रदान करते हैं। मैं आपको नमन करता हूँ।
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघ वर्णं शुभाङ्गम्।। लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्। वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।। अर्थ – शेषनाग की शैया पर शयन करने वाले प्रभु आप देवताओं के भी ईश्वर और संपूर्ण जगत् के आधार हैं, तीनों लोकों के स्वामी हैं मैं आपको प्रणाम करता हूँ मुझे आशीर्वाद दें।