राधा मंत्र

इस मंत्र से मिलेगा सुखी दांपत्य जीवन

राधा कौन है ( Who is Radha)

जब भी प्रेम की बात होती है तो श्री कृष्ण और राधा रानी के पावन प्रेम का उदाहरण सबसे पहले मिलता है। श्री राधा- कृष्ण के प्रेम को जीवात्मा और परमात्मा का मिलन कहा जाता है। राधा, भक्ति और प्रेम की सबसे सुंदर प्रतीक हैं, जो हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। वह कृष्ण की प्रेमिका और संगिनी के रूप में चित्रित की जाती हैं। राधा जी राधा-कृष्ण के रूप में भी पूजा जाता हैं और उन्हें लक्ष्मी जी अवतार माना जाता है। उन्होंने अपने प्रेम और भक्ति के साथ भगवान श्रीकृष्ण के साथ एक अनुपम सम्बन्ध का प्रतीकवाद किया। राधा का नाम उनके प्रेम और आस्था के साथ जुड़ा हुआ है। वे आध्यात्मिक प्रेम की प्रतीक हैं, जो भगवान के प्रति अद्भुत भक्ति का प्रतीक है। भगवान श्रीकृष्ण की प्रेयसी और उनका ही स्वरूप राधा रानी का जन्म कृष्ण जन्म के 15 दिन बाद मनाया जाता है।

राधा के मंत्र का महत्व (Importance of Radha Mantra)

राधा जी के मंत्र का जाप करने से लक्ष्‍मी जी प्रसन्न होती हैं और जातक को धन-संपदा की प्राप्‍ति होती है। राधारानी के मंत्रों को जपने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और विशेष फल की प्राप्ति होती है। श्री ब्रह्माजी के अनुसार जो व्यक्ति राधा जी अट्ठाईस नामों का पाठ करता है, वह संसार के आवागमन से मुक्त हो जाता है। राधा रानी को प्रसन्न करने के बाद भक्त सीधा श्रीकृष्ण को पा सकता है। राधा जी के मंत्र का जाप करने से ऐश्वर्य और धन प्राप्ति के साथ-साथ सभी बाधाओं का नाश करते हैं। पौराणिक कथाओं की माने तो एक बार जब महादेव ने श्री कृष्‍ण से पूछा कि आपको कैसे प्रसन्न किया जा सकता है तो श्री कृष्‍ण ने महादेव से कहा- भोलेनाथ यदि मुझे वश में करना चाहते हैं तो मेरी प्रियतमा श्रीराधा का आश्रय ग्रहण करो।

राधा जी के प्रसिद्ध 5 मंत्र (5 Famous Mnatra of Radha)

1- षडक्षर राधामंत्र ‘श्री राधायै स्‍वाहा।’ य‍ह मंत्र धर्म, अर्थ आदि को प्रकाशित करने वाला है। इसे मंत्र का 108 बार जाप करने से राधा रानी की विशेष कृपा प्राप्‍त होती है।

2- सप्‍ताक्षर राधामंत्र · ऊं ह्नीं राधिकायै नम:। · ऊं ह्नीं श्री राधायै स्‍वाहा। इस मंत्र को लक्ष्‍मी प्राप्‍ति के लिए विशेष माना गया है। इसका जाप करने से आपको कभी पैसों की तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा।

3- अष्‍टाक्षर राधामंत्र 1-ऊं ह्नीं श्रीराधिकायै नम:। 2- ऊं ह्नीं श्रीं राधिकायै नम:। इस मंत्र को सर्व कार्य सिद्धि मंत्र बताया गया है। इस मंत्र का 16 लाख बार जाप करने से भक्‍तों को सभी कार्य में सफलता प्राप्‍त होती है।

4- भगवान नारायण द्वारा श्रीराधा की स्तुति नमस्ते परमेशानि रासमण्डलवासिनी। रासेश्वरि नमस्तेऽस्तु कृष्ण प्राणाधिकप्रिये।। श्रीकृष्ण को प्राणों से भी अधिक प्रिय हे रासेश्वरि, आपको नमस्कार है।

5- ब्रह्मा विष्‍णु द्वारा राधाजी की वंदना नमस्त्रैलोक्यजननि प्रसीद करुणार्णवे। ब्रह्मविष्ण्वादिभिर्देवैर्वन्द्यमान पदाम्बुजे।। हे त्रैलोक्यजननी, आपको मैं नमस्कार करता हूँ। हे करुणा की देवी आप मेरी आराधना स्वीकार कर प्रसन्न हुई।

राधा मंत्र जाप कैसे करें (How to chant Radha Mantra)

  • राधा रानी का जाप करने से पहले स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  • इसके बाद अपने घर के पूजा स्थल की साफ-सफाई कर कलश की स्थापना करें।

  • फिर चौकी पर पीले या लाल रंग का कपड़ा बिछा कर नवग्रहों को स्थापित करें।

  • इसके बाद राधारानी जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें और पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं।

  • राधा रानी को वस्त्र व आभूषणों के साथ शृंगार का समान अर्पित करें।

  • राधारानी जी के साथ भगवान कृष्ण की पूजा भी अवश्य करनी चाहिए।

  • श्रीकृष्ण और राधारानी को चंदन, अक्षत, फूल और फल चढ़ाएं।

  • इसके बाद धूप-दीप से आरती करें। आरती के बाद राधा-कृष्ण के मंत्रों का जाप करें। राधा मंत्र जाप के लाभ

  • राधा मंत्र का जाप करने से व्यक्ति मानसिक, शारीरिक और आत्मिक पीड़ा से छुटकारा पा लेता है।

  • राधा मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को समस्त भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।

  • राधा मंत्र का जाप करने से आध्यात्मिक जीवन में वृद्धि हो सकती है।

  • राधा मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के मन में प्रेम और भक्ति की भावना को बढ़ावा मिलता है।

  • राधा मंत्र का जाप करने से दांपत्य जीवन सुखमय होता है।

राधा मंत्र जाप करते समय किन बातों का ध्यान रखें (What things should be kept in mind while chanting Radha Mantra)

  • राधा मंत्र का जाप करने से पहले श्री कृष्ण जी की पूजा जरुर करें।

  • राधा मंत्र का जाप करते समय तामसिक भोजन न ग्रहण करें।

  • राधा मंत्र का जाप करते समय मन में सबके लिए प्रेम की भवन रखें, किसी के प्रति द्वेष न रखें।

  • राधा मंत्र का जाप करते समय बासी फूलों का इस्तेमाल न करें।

  • मंत्रों का उच्चारण शुद्ध व स्पष्ट होना चाहिए।