Home » शक्ति मंत्र
शक्ति को इष्टदेव मान कर पूजा करने वालों का संप्रदाय को शाक्त कहा जाता है। वैष्णव और शैव धर्मों के ही समान शाक्त धर्म को भी मानने वाले लोगों की संख्या कम नहीं है। माँ दुर्गा को आदिशक्ति स्वीकार कर उन्हें सृष्टि, पालन और संहारकर्ता के रूप में पूजा जाता है। शाक्त धर्म को मानने वाले शक्ति मंत्रों के द्वारा मां शक्ति की उपासना करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि शक्ति पूरे ब्रह्मांड की निर्माता हैं। देवी शक्ति विजय का एकमात्र स्रोत और जीत का अवतार हैं। मां दुर्गा, मां पार्वती, मां लक्ष्मी और काली मां समेत कई हिंदू देवी-देवताओं में शक्ति पाई जाती है। देवी शक्ति एकमात्र ऐसी देवी हैं, जो नौ ग्राहों पर शासन करने की क्षमता रखती हैं। योगी और ऋषि-मुनि अपनी तांत्रिक विश्राम तकनीक में शक्ति पर चिंतन-मनन करते हैं ताकि उसे समझ सकें और उसकी क्षमता, प्रेरणा को खुद में तथा विश्व में समाहित कर सकें, उसे नियंत्रित कर सकें। वास्तव में शक्ति मंत्र प्राणायाम और सचेत परिवर्तन के मूल में काम करते हैं।
शक्ति मंत्र का जाप करने से जातक का मन केंद्रित होता है और उसके स्वतंत्र रूप से सोचने की प्रक्रिया भी तेज हो जाती है। नियमित रूप से शक्ति मंत्र का जाप करने वाला नि:स्वार्थ हो जाता है, जो उसे मोक्ष प्राप्ति में मदद मिलती है। शक्ति मंत्रों का जाप जातक को शक्तिशाली और सकारात्मक ऊर्जा से जोड़ता है। शुद्ध मन से शक्ति मंत्र का जाप करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और आपका जीवन तनावमुक्त होता है। शक्ति मंत्र का जाप करने से सभी के लिए करुणा और सम्मान की भावना पैदा होती है।
1. सर्वबाधा मुक्ति मंत्र
सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो, धनधान्यसुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः।।
अर्थ – मां शक्ति जीवन में आने वाले सभी बाधाओं से मुझे मुक्त करें और धन, धान्य एवं पुत्र रत्न से सम्पन्न करें। आप मनुष्य जाति का कल्याण करेंगी इसमें मुझे बिल्कुल भी संदेह नहीं है।
2. आदि शक्ति मंत्र
आदि शक्ति, आदि शक्ति, आदि शक्ति, नमो नमो सरब शक्ति, सरब शक्ति, सरब शक्ति, नमो नमो प्रीतम भगवती, प्रीतम भगवती, प्रीतम भगवती, नमो नमो कुण्डलिनी माता शक्ति, माता शक्ति, नमो नमो ||
अर्थ – मैं मूल शक्ति के सामने नतमस्तक हूं। मैं सर्वशक्तिमान और स्फूर्तिदायक शक्ति को नमन करता हूं। मैं उसे नमन करता हूं, जिसे भगवान अपनी सृष्टि के लिए उपयोग करते हैं। मैं कुण्डलिनी देवी को नमन करता हूं, जो दिव्य मां शक्ति की सृजनात्मक ऊर्जा है।
3. शक्ति प्राप्ति का मंत्र
सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्ति भूते सनातनि। गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तुते॥
अर्थ – तुम सृष्टि, पालन और संहार की शक्ति भूता, सनातनी देवी, गुणों का आधार तथा सर्वगुणमयी हो।
4. आरोग्य और सौभाग्य का मंत्र- देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
अर्थ – हे मां मुझे सौभाग्य दो, बेहतर स्वास्थ्य दो, परम सुख और उच्च ज्ञान दो और काम-क्रोध आदि शक्तियों का नाश करो।
5. महामारी नाश का मंत्र-
जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥
अर्थ – जगदम्बा को काली कहा गया है, यह वही काली है जो प्रलयकाल में सम्पूर्ण सृष्टि को अपना ग्रास बना लेती हैं। अपने भक्तों को देने के लिए भद्र, सुख किंवा मंगल जो स्वीकार करती है, वो ही भद्रकाली है। जो हाथ में कपाल व गले में मुण्डमाला धारण किए हुई है, उन्हें कपालिनी कहा गया है।