Home » सीता मंत्र
माता सीता को सौभाग्य की देवी मां लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। राजा जनक की पुत्री होने के कारण इन्हें जानकी, जनकसुता भी कहा जाता है। मिथिला की राजकुमारी होने के कारण वह मैथिली नाम से भी प्रसिद्ध हैं। माता सीता का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र और भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्रीराम से हुआ था। विवाह के उपरांत माता सीता को भगवान श्री राम के साथ 14 साल का वनवास झेलना पड़ा। श्री राम को सीता माता का अद्धिष्ठात देव माना जाता है। सीता माता के मंत्रों का जाप करने से सभी दु:खों का अंत होता है और घर में सुख शांति आती है। माता सीता की महिमा ऐसी है कि आज के युग में भी लोग माता सीता का नाम भगवान श्री राम से पहले लेते हैं।
रामायण में राम का अर्थ हमारी आत्मा, परमचेतना, सत्य और सदाचार से है। वहीं माता सीता का अर्थ है आद्य ऊर्जा या कुंडलिनी शक्ति से है। माता सीता को आदर्श महिला का उदाहरण बताया जाता है। सीता कुंडलिनी शक्ति के रूप में पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करने वाले मूलाधार या मूल चक्र में निवास करती हैं। सीता मंत्र सुषुम्ना नाड़ी में प्राण के प्रवाह को सक्रिय करता है, जिससे कुंडलिनी शक्ति ऊपर की ओर बढ़ती है। सीता राम मंत्र के निरंतर जाप से उत्पन्न सूक्ष्म घर्षण से इड़ा और पिंगला नाड़ियाँ या सहानुभूतिपूर्ण और परानुकंपी तंत्रिका तंत्र सक्रिय हो जाते हैं और वेगस तंत्रिका या सुषुम्ना नाड़ी कंपन करने लगती है। सीता राम मंत्र मस्तिष्क के दोनों किनारों को संतुलित करता है।
1 असाध्य रोग नाशक मंत्र श्रीराम सांनिध्यवशां-ज्जगदानन्ददायिनी। उत्पत्ति स्थिति संहारकारिणीं सर्वदेहिनम्॥ इस मंत्र का जाप करने से असाध्य रोगों से बचा जा सकता है और उन्हें दूर रखा जा सकता है।
2 दुख नाशक मंत्र उद्भव स्थिति संहारकारिणीं हारिणीम्। सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामबल्लभाम्॥ इस मंत्र का जाप करने से जीवन में आने वाले सभी दुखों की समाप्ति होती है।
3 सीता गायत्री मंत्र ऊँ जनकाय विद्महे राम प्रियाय धीमहि, तन्नो सीता प्रचोदयात्। शील, त्याग मर्यादा एवं करुणामूर्ति, जगतजननी जनक नन्दनी श्री राम की प्रिय आपको नमन।
4 सुख-शांति के लिए श्री जानकी रामाभ्यां नमः जय श्री सीता राम श्री सीताय नमः इस मंत्र के जाप से जीवन में सुख-शांति आती है और सभी दुखों की समाप्ति होती है।
5- बुरी शक्तियों से दूर रहने के लिए “नाम पाहरू दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट। लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहिं बाट॥” इस मंत्र के जाप से मन में सुरक्षा की भावना जागृत होती है। सीता माता के मंत्र से जातक के चारों ओर आत्मविश्वास का सुरक्षा कवच बन जाता है, जो जातक की हर परिस्थिति में सुरक्षा करता है।
· सीता मंत्र का जाप करने से पहले स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र पहन लें।
· सीता मंत्र का जाप शुरू करने से पहले घर के मंदिर में माता सीता की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें।
· इसके बाद कुश के आसान पर अपना मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर करके बैठ जाएं।
· माता सीता को फूल-माला,अक्षत और शृंगार का समान अर्पित करें।
· माता सीता को फल, मिष्ठान का भोग लगाएं और उनकी आराधना करें।
· इसेक बाद सीता मंत्र की पूरी भक्ति और समर्पण भावना के साथ जाप शुरू करें।
· सीता राम-सीता राम-सीता राम-सीता राम… मंत्र का लयबद्ध व स्पष्ट उच्चारण के साथ जाप करें।
सीता मंत्र का नियमित जाप करने से मनपंसद जीवनसाथी पाने की इच्छा पूरी होती है।
सीता मंत्र का जाप करने से दाम्पत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है और जीवन में खुशहाली आती है।
नियमित सीता मंत्र का जाप करने से जीवन के सभी कष्ट खत्म हो जाते हैं।
सीता मंत्र का नियमित जाप करने से रुके हुए कार्य पूर्ण होते हैं
माता सीता मां लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं, इसलिए माता सीता को प्रसन्न करने से धन-धान्य और संपदा में वृद्धि होती है।
सीता मंत्र का जाप करने से जताक के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
सीता मंत्र का जाप शुद्ध और सही उच्चारण में करना चाहिए।
सीता मंत्र का जाप करते समय शुद्धता का विशेष ध्यान देना चाहिए, कभी भी बिना स्नान किए मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए और जहां पर आप मंत्र जाप करने जा रहे हैं वो जगह भी साफ-सुथरी होनी चाहिए।
सीता मंत्र का जाप करते समय तामसिक भोजन को ग्रहण नहीं करना चाहिए।
सीता मंत्र का जाप करते समय पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।