श्री नृसिंह मंत्र

भूत पिशाच व अकाल मृत्यु से मिलेगा छुटकारा

श्री नृसिंह मंत्र (Shri Narasimha Mantra)

भगवान नरसिंह को पुराणों में भगवान विष्णु का चौथा अवतार बताया गया है, जो आधे मानव व आधे सिंह के रूप में प्रकट हुए थे। जिनका धड़क तो मानव का था, लेकिन चेहरा एवं पंजे सिंह की तरह थे। ऐसी मान्यता है कि भगवान नरसिंह अपने भक्तों की रक्षा के लिए हमेशा साथ रहते हैं। हिरण्‍यकश्‍यप नामक दैत्‍य अपने अनन्य भक्त प्रल्हाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु को आधे नर और आधे सिंह का यह अनोखा अवतार लेना पड़ा। भगवान विष्‍णु ने वैशाख मास के शुक्‍ल पक्ष की चतुर्दशी को यह अवतार लिया था। सनातन धर्म में नरसिंह देवता को भगवान का उग्र अवतार माना गया है। हिंदू धर्म में नरसिंह देवता की पूजा पाठ का विशेष महत्व है। भगवान नरसिंह की विशेष पूजा संध्या के समय की जानी चाहिए। यानी दिन खत्म होने और रात शुरू होने से पहले जो समय होता है उसे संध्याकाल कहा जाता है। पुराणों के अनुसार इसी काल में भगवान नरसिंह प्रकट हुए थे। ऐसे में भगवान नरसिंह देव के मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति शत्रु पर विजय पाता है व हर समस्या से छुटकारा पा लेता है।

श्री नृसिंह जी की कहानी (Story of Shri Narasimha Mantra)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, राक्षसों के राजा हिरण्यकश्यप ने कठोर तप कर ब्रह्माजी को प्रसन्न कर लिया और उनसे वरदान के रूप में मांगा कि उसे कोई कोई मानव न मार सके और न ही कोई पशु उसे मार सके। उसकी मृत्यु न दिन में हो और न ही रात में हो। उसकी मृत्यु न घर के भीतर और न बाहर हो। न धरती पर और न आकाश में, न किसी अस्त्र से और न ही किसी शस्त्र से। ब्रह्माजी ने उसे ये वरदान हिरण्यकश्यप को दे दिया। जिसके बाद वो खुद भगवान मानने लगा और सब पर अत्याचार करने लगा। हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। उसने अपने पुत्र प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोकना चाहा लेकिन उसका हर प्रयास निष्फल रहा । यहां तक कि उसने अपने ही पुत्र के प्राण लेने की भी कोशिश की लेकिन प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं हुआ। एक दिन जब प्रह्लाद ने उससे कहा कि भगवान सर्वत्र व्याप्त हैं, तो हिरण्यकश्यप ने उसे चुनौती देते हुए कहा कि अगर तुम्हारे भगवान सर्वत्र हैं, तो इस स्तंभ में क्यों नहीं दिखते? यह कहते हुए उसने अपने राजमहल के उस स्तंभ पर प्रहार कर दिया। तभी स्तंभ में से भगवान विष्णु नृसिंह अवतार के रूप में प्रकट हुए। उन्होंने हिरण्यकश्यप को उठा लिया और उसे महल की दहलीज पर ले आए। भगवान नृसिंह ने उसे अपनी जंघा पर लिटाकर उसके सीने को अपने नाखूनों से फाड़ दिया और अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा की। भगवान नृसिंह ने जिस स्थान पर हिरण्यकश्यप का वध किया, वह न तो घर के भीतर था, न बाहर। उस समय गोधूलि बेला थी यानी न दिन था और न रात। नृसिंह, न पूरी तरह से मानव थे और न ही पशु। हिरण्यकश्यप का वध करते समय उन्होंने नृसिंह ने उसे अपनी जांघ पर लिटाया था, इसलिए वह न धरती पर था और न आकाश में था। उन्होंने अपने नाखून से उसका वध किया, इस तरह उन्होंने न तो अस्त्र का प्रयोग और न ही शस्त्र का।

श्री नृसिंह जी के मंत्र और अर्थ (Mantras and meanings of Shri Nrisingh Ji)

  • नरसिंह भगवान का बीज मंत्र ॐ श्री लक्ष्मीनृसिंहाय नम:।।

अर्थ – शत्रु बाधा हो या तंत्र मंत्र बाधा,भय हो या अकाल मृत्यु का डर। इस मंत्र के जाप करने से शांति हो जाती है।

  • संकटमोचन नरसिंह मंत्र ध्याये न्नृसिंहं तरुणार्कनेत्रं सिताम्बुजातं ज्वलिताग्रिवक्त्रम्। अनादिमध्यान्तमजं पुराणं परात्परेशं जगतां निधानम्।।

  • आपत्ति निवारक नरसिंह मंत्र ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्॥

अर्थ – मैं भगवान नृसिंह को नमन करता हूं,महाविष्णु का उग्र और पराक्रमी रूप,जो हर तरफ रौशनी बिखेरता है,जिसका रूप विकराल है, जो शुभ है, और जो मृत्यु लाता है, वही मृत्यु को देता है।

  • नरसिंह गायत्री मंत्र ॐ वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्ण दंष्ट्राय धीमहि | तन्नो नरसिंह प्रचोदयात ||

  • संपत्ति बाधा नाशक नरसिंह मंत्र ॐ नृम मलोल नरसिंहाय पूरय-पूरय

श्री नृसिंह मंत्र का जाप कैसे करें (How to chant Shri Nrisimha Mantra)

  • श्री नृसिंह मंत्र का जाप संध्याकल के समय करना चाहिए यानी जब दिन खत्म हो रहा हो और रात शुरू होने से पहले जो समय होता है।
  • श्री नृसिंह मंत्र का जाप शुरू करने से पहले स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहन लें।
  • फिर ईशान कोण पर पीले कपड़े पर भगवान श्री नृसिंह की मूर्ति या फोटो की स्थापना करें।
  • भगवान नरसिंह विष्णु जी के रौद्र रूप का अवतार है। उनके गुस्से को शांत करने के लिए उन्हें चंदन चढ़ाएं।
  • फिर दूध, पंचामृत और पानी से श्री नृसिंह जी अभिषेक करें।
  • श्री नृसिंह को दही, मक्खन, तरबूज, सत्तू और ऋतुफल चढ़ाएं।

श्री नृसिंह मंत्र के जाप करने के लाभ (Benefits of chanting Shri Nrisimha Mantra)

  • श्री नृसिंह मंत्र का नियमित जाप करने से शत्रुओं का नाश होता है और जातक को हर प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है।
  • श्री नृसिंह मंत्र का नियमित जाप करने से जातक को किसी भी प्रकार के तंत्र-मंत्र, बाधा, भूत पिशाच व अकाल मृत्यु के डर से मुक्ति मिल जाती है।
  • श्री नृसिंह मंत्र का नियमित जाप करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
  • श्री नृसिंह मंत्र का नियमित जाप करने से धन-संपदा की वृद्धि होती है।
  • श्री नृसिंह मंत्र का जाप करने से सरकारी नौकरी मिलती है और व्यापार में उन्नति होती है।
  • श्री नृसिंह मंत्र का जाप करने से असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • श्री नृसिंह मंत्र का जाप करने से बुरे ग्रह कोई बाधा नहीं पहुंचाते हैं।
  • श्री नृसिंह मंत्र का जाप करने से धन वृद्धि का लाभ मिलता है।

श्री नृसिंह मंत्र के जाप करते समय किन बातों का रखें ख्याल (kept in mind while chanting Shri Nrisimha Mantra?)

  • बिना स्नान किए श्री नृसिंह मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए।

  • श्री नृसिंह मंत्र का जाप करते समय मंत्रों का उच्चारण शुद्ध करना चाहिए।

  • श्री नृसिंह मंत्र का जाप करते समय किसी के लिए मन में छल कपट की भावना नहीं रखनी चाहिए।

  • श्री नृसिंह मंत्र का जाप करते समय तामसिक भोजन नहीं ग्रहण करना चाहिए।

  • श्री नृसिंह मंत्र का जाप करते समय झूठ नहीं बोलना चाहिए।

  • श्री नृसिंह मंत्र का जाप करते समय बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए।

  • श्री नृसिंह मंत्र का जाप करते समय क्रोध का त्याग करना चाहिए।