Home » वैदिक मंत्र
सनातन संस्कृति के धर्म शास्त्रों में वैदिक मंत्रों का काफी गुणगान किया गया है। मंत्रों को देववाणी बताकर उनके जाप से जीवन के उत्थान की बात कही गई है।
शास्त्रों में कहा गया है कि ‘मनः तारयति इति मंत्रः’ अर्थात मंत्रों में वह शक्ति होती है कि वो मानव को तार देते हैं।
हर देवी देवता के अपने मंत्र होते हैं और उनके स्मरण मात्र से मानव के उन्नति और उसकी सफलता के द्वार खुलते हैं। यहां हम आपके समक्ष कुछ चमत्कारी और उपयोगी मंत्र और उनके अर्थ प्रस्तुत कर रहे हैं।
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
मंत्र का अर्थ:
वह परब्रह्म पुरुषोत्तम परमात्मा सभी प्रकार से पूर्ण है। यह जगत भी पूर्ण है, क्योंकि यह जगत उस पूर्ण पुरुषोत्तम से ही उत्पन्न हुआ है। इस प्रकार परब्रह्म की पूर्णता से जगत पूर्ण होने पर भी वह परब्रह्म परिपूर्ण है। उस पूर्ण में से पूर्ण को निकाल देने पर भी वह पूर्ण ही शेष रहता है। वह पूर्ण परम पुरुष हमारे पाप कर्मों को शांत करें, हमें शांति प्रदान करें।
ॐ असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतं गमय।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
मंत्र का अर्थ:
हे प्रभु! मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो, अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो एवं मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो। मुझे अपनी शरण प्रदान करो।
ॐ नम शिवाय
मंत्र का अर्थ:
ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।
स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
मंत्र का अर्थ:
महान कीर्ति वाले इन्द्र हमारा कल्याण करो, विश्व के ज्ञान स्वरूप पूषा देव हमारा कल्याण करो। जिसका हथियार अटूट है ऐसे गरुड़ भगवान के अधिपति भगवान विष्णु हमारा मंगल करो। बृहस्पति देव हमारा मंगल करो। हमारे पाप कर्मों को शांत करें, हमें शांति प्रदान करें।”