भगवान श्री विष्णु के मंत्र

भगवान श्री विष्णु के मंत्र: अर्थ और लाभ

जानें श्री विष्णु के शक्तिशाली मंत्रों का सही अर्थ और उनसे मिलने वाले आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक लाभ।


भगवान श्री विष्णु के मंत्र (Vishnu Mantra)

पौराणिक शास्त्रों और विद्वानों के अनुसार यदि नियमित रूप से श्री हरि विष्णु के मंत्रों का जाप किया जाए, तो ये ना सिर्फ पापों को नष्ट करते हैं, बल्कि जीवन में काफी फलदायी भी होते हैं।
श्री हरि के इन मंत्रों की आराधना विशेष रूप से वैशाख, कार्तिक और श्रावण मास में करने पर ये और भी फलयादी होते हैं।

यहां हम श्री हरि विष्णु के कुछ बेहद खास और प्रमुख मंत्रों, उनके अर्थ एवं उनसे होने वाले लाभ के बारे बता रहे हैं। पढ़ें श्री विष्णु के मंत्र:

** Vishnu Mantra लेख में-**

  1. श्री विष्णु मूल मंत्र।
  2. क्लेश नाशक श्री विष्णु मंत्र।
  3. विष्णु गायत्री मंत्र।
  4. श्री विष्णु रूपम मंत्र।
  5. धन्वंतरि मंत्र।

 

1. श्री विष्णु मूल मंत्र:

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ||

मंत्र का अर्थ:
मैं भगवान वासुदेव को नमन करता हूं।

मंत्र का लाभ:
इस मंत्र के जाप करने से मन शांत रहता है। उसमें दया भावना जागृत होता है और दूसरों के प्रति प्रेम भाव बढ़ता है।

2. क्लेश नाशक श्री विष्णु मंत्र:

कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।
प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।

मंत्र का अर्थ:
हे वसुदेव के पुत्र, हे कृष्ण आपका स्मरण मात्र से सभी प्रकार के कलह और क्लेश का नाश होता है। ऐसे भगवान श्री गोविंद को मेरा साक्षात नमस्कार हो।

मंत्र का लाभ:
जीवन में आंतरिक, पारिवारिक क्लेश दूर हो जाते हैं। मानसिक दुविधाओं से निजात पाने के लिए इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।

3. विष्णु गायत्री मंत्र:

नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि ।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥

मंत्र का अर्थ:
जिनका सुंदर मुख मंडल है ऐसे श्री हरि नारायण, जो श्रेष्ठ बुद्धि के धारक हैं ऐसे श्री हरि वासुदेव, जो सर्वस्व हैं ऐसे श्री हरि विष्णु सर्वव्यापी भगवान मुझे अपनी शरण में लें।

मंत्र का लाभ:
इस मंत्र के जाप से पारिवारिक कलह दूर होता है। इसके जाप से घर में सुख शांति और समृद्धि आती है।

4. श्री विष्णु रूपम मंत्र:

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं,
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥

मंत्र का अर्थ:
मैं भगवान विष्णु को नमन करता हूं जो इस सृष्टि के पालक और रक्षक हैं,
जो शांतिपूर्ण हैं, जो विशाल सर्प के ऊपर लेटे हुए हैं, जिनकी नाभि से कमल का फूल निकला हुआ है, जो ब्रह्मांड का सृजन करता है,
जो एक परमात्मा हैं, जो पूरी सृष्टि को चलाने वाले हैं, जो सर्वव्यापी हैं जो बादलों की तरह सांवले हैं जिनकी आंखें कमल के समान है,
वहीं समस्त संपत्तियों के स्वामी हैं, योगी जन उनको समझने के लिए ध्यान करते हैं, वह इस संसार से भय का नाश करने वाले हैं,
सब लोगों के स्वामी भगवान विष्णु को मेरा नमस्कार।

मंत्र का लाभ:
इस मंत्र के जाप से मनुष्य जीवन में हर सफलता को प्राप्त करता है। यह मंत्र अवास्तविक दुनिया के डरों से बाहर निकालने का काम करता है।

5. धन्वंतरि मंत्र:

ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्वरोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
ॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृत कलश हस्ताय सर्व आमय
विनाशनाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णवे नमः ||

मंत्र का अर्थ:
परम भगवान को, जिन्हें सुदर्शन वासुदेव धन्वंतरी कहते हैं, जो अमृत कलश लिए हैं, सर्व भयनाशक हैं,
जो सर्वरोग नाश करते हैं, जो तीनों लोकों के स्वामी हैं और तीनों लोकों के प्राणियों का निर्वाह करने वाले हैं
ऐसे श्री विष्णु स्वरूप धन्वंतरि भगवान को नमन है।

मंत्र का लाभ:
इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं के साथ ही मानसिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से शीघ्र ही छुटकारा मिल जाता है।

अखण्ड विष्णु कार्यं चराचरं मंत्र: (Akhand Vishnu Karyam Characharam Mantra)

अखण्ड विष्णु कार्यं चराचरं मंत्र: इस मंत्र के उच्चारण से सभी चराचर जीवों पर भगवान विष्णु की अखण्ड कृपा बनी रहती है, जो जीवन में शांति, समृद्धि और स्थायित्व प्रदान करती है।